तुंही तेज तप करे निरंजन नाम धरावे।

ब्रह्मा तेज बल रचै विष्णु शिव पालन सावे।

इंद्र तेज तप करे सप्त नवखण्ड बसावे।

शेष तेज लवलेश शीस ब्रह्माण्ड उठावे।

तपही साध तपही ऋषि तप कर तेज अपार।

तप कर साहब अवनिपत तेजपुंज ततसार॥

स्रोत
  • पोथी : जम्भसार, भाग-1-2 ,
  • सिरजक : साहबराम राहड़ ,
  • संपादक : स्वामी कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : स्वामी आत्मप्रकाश 'जिज्ञासु', श्री जगद्गुरु जंभेश्वर संस्कृत विद्यालय, मुकाम,तहसील-नोखा, जिला- बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम