तेहारा नाम, में मिट्टी की बंधी, मिट्टी से बनाइ देह ये गाफिल गंधी।

मिट्टी का ओढना, मिट्टी का जु विछौना आखिर की निशान मिट्टी में समाना।

मिट्टी के धन, मिट्टी के भंडार, मिट्टी के हीरा, मिट्टी के सरदार।

मिटी के घोड़ा, मिट्टी के असवार मिट्टी के हस्ती, मिट्टी के राजकुमार।

गवरी कहे संसारी तो, आकाश केरे फुल।

निज रामनाम समरो, माया देखी मत भुल॥

स्रोत
  • पोथी : गवरी बाई (भारतीय साहित्य रा निरमाता) ,
  • सिरजक : गवरी बाई ,
  • संपादक : मथुरा प्रसाद अग्रवाल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम