शब्द रूप सोई जोत, जोत निहतन्त भणिजे।

अमितत सोई जोत, जोत सब हंस गिणिजे।

तेज शिला सोई जोत, निरंजन जोत जाणीजे।

हिरण्य गर्भ सोई जोत, जोत विराट तणीजे।

महा तत्व ब्रह्मा विष्णु शिव सब ही जोत अपार।

दस चौबीसुं जोत है, साहब सो उर धार॥

स्रोत
  • पोथी : जम्भसार, भाग-1-2 ,
  • सिरजक : साहबराम राहड़ ,
  • संपादक : स्वामी कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : स्वामी आत्मप्रकाश 'जिज्ञासु', श्री जगद्गुरु जंभेश्वर संस्कृत विद्यालय, मुकाम,तहसील-नोखा, जिला- बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम