सेवौ ये सतगुरु समरथ दाता,शब्द अतीत अनाहद राता।

सुख का सागर झिलमिल दरिया, हीरे मोती मानिक भरिया।

सुख का सागर झिलमिल जोती, मानसरोवर मुकता मोती।

झिलमिल झिलमिल अजब जहूरा, ताहि लखावै सतगुरु पूरा।

सुख के सागर हंस पठावै, बहुरि जूंनी संकट आवै।

कोटि कनी हीरौं की खानी, सतगुरु दया दिल दानी।

सूरज मुखी मुक्ति का चंपा, सतगुरु ध्यान लगाया कंपा

दौनां मरुवा फूल चंबेली, सुख सागर में खेलो री होली।

संख पदम झिलमिल उजियारा, दास गरीब सतलोक हमारा॥

स्रोत
  • पोथी : श्री सतगुरु ग्रंथ साहिब ,
  • सिरजक : गरीबदास ,
  • संपादक : आशीष कुमार पाण्डेय ,
  • प्रकाशक : लोकनाथ प्रकाशन , वाराणसी, उत्तर प्रदेश ,
  • संस्करण : प्रथम