साधो ब्रह्म अलख लखाया।
बीज मांहि ज्यो बिरछ दिखे, बिरछ मांहि ज्यो छाया॥टेक॥
नी मांहि ज्यों सुन्न देखिये, सुन्न अनन्त आकास।
निअच्छर से अच्छर तैसे, अच्छर घर विस्तारा।
रखे मोहिं ज्यों किरन दीखे, किरन मांहि परकासा।
जैसे जीव ब्रह्म परमातम, जीव मांझ ज्यो धांसा।
सांसा माहि सब्द पर मीटें, अरथ शब्द के माहिं।
ब्रह्म से जीव, जीव से ब्रह्म, यों पीपै लगा सदा ही॥