रावंण मार्यो देव ज छूटया, जै जै रांम बधाई।
पदम अठारा साबेत कीया, सुगंध रह्यौ रिण मांही॥
बीभीषण लंका पाटि बसाण्यौ, बडां री आदि बडाई।
ले सीता राघव घरि आया, अजोध्या उछाही॥
हुवौ रामायण रावण मारयौ, घणौ पराकम न्हाळयौ।
सुरगे जाय महरावंण मार् यो, तोड़ि गळा सूं राळयौ॥
सोवंन लंक खळो करि गाही, ढंढ़ौळ्यौ असमांणौ।
कहि मेहा रिण झुंझ्यौ राघौ, घंण ज्यौं बूठा बांणौ॥
घण ज्यौं बूठा बांण क, रांणौ रावण मारयौ।
रावण मार् यो परहंस सार् यो, लंक लिवी मुंह भांने॥
अठसठ तीरथ जो पुंन न्हायां, सुंणौ रामायण कांने।
पढ़ियां नै मेहो समझावै, धापो धरंग धियांनै॥