राम नाम निज मित्र सहाई।
रे मन ताहि विसरि जिनि जाई।
राम नाम निज तत्त्व कहावै।
सो सब होत सकल सिधि आवै।
राम नाम निज वौषधि सारा।
साधत ताहि बिलाहि विकारा।
राम नाम बिनि जाप न कोई।
ताहि जपत पारंगत होई।
राम नाम कहतां सुख प्रामै।
बहुरि न मरै न जग में जामै।
राम नाम निज साची करनी।
जगन्नाथ हरि महल निसरनी॥