महाजोत गुरु जम्भ भक्तं हित लीलाधारी।
सप्त वर्ष रहे मौन सप्त बीसुं गऊ चराई।
इक्यावन कथ ज्ञान शब्द अणभे अधकारी।
पच्चासी त्रिय मास तेज तप लाई तारी।
आठम सोम अठोतरे पनरा से अवतार।
तिरानवे मिगसर वद नवमी साहब पहुंचे पार॥