कहे रूपा हो मालजी मन में धारो धीर।
आप धणी सिर ऊपरे और सब बाप ने बीर॥
एक तुम ही करतार हो एक है सरजनहार।
दोया ने एक कर जोड़वू कर दीजो भव पार॥
दीन बंधु परमेस सो था बिन राजी न होय।
इंण सूं मैं अरजी करूं थांसू हटू न कोय॥
रूपा सत सूं बीणवे सत राखो जग मांय।
सत सूं आगे ई उबारिया फिर ऊबरे पल मांय॥