जियरा करि रे कोई उपाया, जाथै बेगि मिले राम राया॥टेक॥

खणि खणि मूली खाइये, भ्रमि भ्रमि तीरथ न्हाइये।

कोटि बैद संगि फिरिये, तऊ देखतां मरिये।

केई राजा केई राना, केई पाति साह सुलताना।

बहुनाइक जौ फिरिये, तऊ देखतां मरिये।

ऊँचा कोट मरोड़ा, तहां नही धन तोड़ा।

दरि बघिलै घोड़ा हाथी, तेरे संगि आवै साथी।

पीपौ प्रणवै अंतर्जामी, तूं जनमि मैरो स्वामी।

मेहि जनम का पासा, तुम्ह ठाकुर मैं दासा॥

स्रोत
  • पोथी : राजर्षि संत पीपाजी ,
  • सिरजक : संत पीपाजी ,
  • संपादक : ललित शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम