ईशर पूजन पधारो सुरता रे म्हारी, ईशर पूजन पधारो।

सुरत निरत पथ पकर सखीरी, हृदय कपाट उघारो।

सतसँग झारू देरू कामादिक, दारिद दूर निवारो।

प्राण पुरुष झारी भरलायो, हरख चढ़ाय संवारो।

चित चंदन मन धूप धर प्यारी, आरती अचल उतारो।

संकलप विकल्प दूर कर सजनी, यकटक नयन निहारो।

कोटिक भान भान वह निरखो, आरत वजन उचारो।

अलख पुरुष वर माँग गुमन कह, भव दुख दूर निवारो॥

स्रोत
  • पोथी : गुमान ग्रंथावली ,
  • सिरजक : ठाकुर गुमानसिंह ,
  • संपादक : देव कोठारी ,
  • प्रकाशक : साहित्य संस्थान, राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम