हां रे बीरा नर नारी मांय एक है हो जी।

कोई दूजा मत जाणों॥

हां रे बीरा सत रे मारग कोई हालिया हो जी जिके जाणे पियाणों।

कायर काम नहीं जाणसी हो जी भूला ही भरमाणों॥

हां रे बीरा जिण कारीगर जगत घड़ियो हो जी जिण रो अजब कमठाणों।

सोई बिराजे सब रे बीच में होजी देखो अधर ठहराणो॥

हां रे बीरा सगलो ब्रहमडं फिर देख लो होजी दूजो कोई निजर नी आणों।

जिण पायो जिण पावियो होजी सूतो नींद जगाणों॥

हां रे बीरा भेलो रेवे पण नहीं मिले होजी।

जो कोई भिले सो उण में भिले होजी आप कहीं आणों जांणों॥

हां रे बीरा गुरु उगमसिजी भेंटिया होजी उलझ्यो ही सुलझाणों।

बाई रूपादे री बीनती हो जी ही साचो परियाणों॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान संत शिरोमणि राणी रूपांदे और मल्लीनाथ ,
  • सिरजक : रूपांदे ,
  • संपादक : नाहरसिंह ,
  • प्रकाशक : राणी भटियाणी ट्रस्ट,जसोल, बाड़मेर