गउ बीज कौ नास कराय, तेण्य पाप सूं परल जाय।

जे कौ पुछ कुड़ कथाय,पंथ सगल नै लाज मराय॥

गाय बलद मत चोट द्यौ,पशु अबोल अनाथ।

वसत पराइ परहरी ,पड़य घाती घाव॥

जकौ आदमी गाय रौ बीज नास करण रौ प्रयास करै है, उणी पाप सूं उणां रौ विनास हो सकै है।

जकै पंथ -संप्रदाय रौ आदमी ऐड़ौ काम करण री कौसिस करै है वो सगळ पंथ नै सरमिंदौ करै है। गाय - बळद अबोल -अनाथ जानवरां ने कदैयी परिवार सूं पराया नहीं समझणां चहिजै अर इणां नै किसी भी सूरत में चौट पहुंचावण री कौसिस नहीं करणी चाहिए।

स्रोत
  • पोथी : हिंदी संत परंपरा और संत केसो ,
  • सिरजक : संत केसोदास ,
  • संपादक : सुरेंद्र कुमार ,
  • प्रकाशक : आकाश पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स , गाजियाबाद - 201102 ,
  • संस्करण : प्रथम