राम बिना को तेरा, यो जग जम का घेरा॥

बेटा बेटी पाळै पोखै, बड़ा होण की आसा।

मरि जावै कै होइ दुखदाई, यूं जग जाय निरासा॥

करै कमाई माया जोड़ै, भेळी करि करि सेवै।

लाव ल्हसकर राज लूटि ले, घर का खाण देवै॥

राव रैति सारौ जग देखौ, रावण से सिकदारा।

रीता हाथां होइ करि चाल्या, माया चली लारा॥

साचा सतगुरु सोधि कीजे, ग्यान जिनूं को लीजे।

झूठौ झंझट छाड़ि जगत को, राम रसाइणि पीजे॥

सतगुरु सरणै जे जे आया, सुखी भया कलि माही।

चेतनदास चिताय कहत है, और ठौर सुख नाहीं॥

स्रोत
  • पोथी : स्वामी चेतनदास ,
  • सिरजक : चेतनदास ,
  • संपादक : बृजेन्द्र कुमार सिंघल ,
  • प्रकाशक : संत उत्तमराम कोमलराम ‘चेतनावत’, रामद्वारा, इंद्रगढ़ (कोटा) ,
  • संस्करण : प्रथम
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