बात करे परब्रह्म री पैंड देय एक नाथ।
रूपा कहे रे भाइयों किण विध स्याम मिलाय॥
सुख में ब्रह्मग्यानी रहे दुख में देवे रोय।
बाई रूपा यो कहे भलो कदेई न होय॥
दुख ने दुख समझे नहीं सुख सूं हरख न होय।
रूपा कहे ससय नहीं जीवत मुक्ति होय॥
सतसंगी सीधा बजे और मन जो उलटो होय।
औरों रे एक जूत है बांरे पड़सी दोय॥
धीमा चाले हंस ज्यूं कहे कोकिल ज्यूं बैण।
काग भ्रसटपण ना करे सीतल ज्यारा नैण॥
आप तो सुधरया क्या भला लाखों दिया सुधार।
कहे रूपा उण स्तरों में सेवग बारबार॥