अब समझ रे, मन भाई, इस जग में जुठी सगाइ
संगु समंधी, कलत्र, कुटंब सब, स्वारथ को मल्यो आइ
आखर विरीयां आयगी जब, रहेगी न्यारा चटकाइ, इस जगं...
जुठी रे काया, जुठी रे माया, जुठे ब्हेन ओर भाइ
अंत काल कोइ संग न साथी, हंस अकेले जाइ इस...
सुना, चांदी और हीरा, मोती तामें रह्यो ललचाइ
मुआ पीछे सब लुंट चलेगी, पिंजरा दीया जलाइ इस...
कहे गवरी सतगुरु की किरपा, ले गोविंद कुं गाइ
सुक्रीत सोदा कर ले बंदे, आवा गमन मिटाइ इस जग...