आद शब्द अनाहद वाणी

चवदै भवन रहा छल पाणी।

जिंहि पाणी से अंड ऊपना।

उपना ब्रह्मा इंद्र मुरारी॥

सृष्टि के आदि में शब्द ब्रह्मा और अनाहत वाणी ही थी। उसके पश्चात चौदह भवनों में सर्वत्र पानी ही पानी भरा हुआ था। उसी पानी में से एक अंडा उत्पन्न हुआ और उसी अंडे से ब्रह्मा, इंद्र और मुरारी उत्पन्न हुवे।

स्रोत
  • पोथी : जांभोजी री वाणी ,
  • सिरजक : जांभोजी ,
  • संपादक : सूर्य शंकर पारीक ,
  • प्रकाशक : विकास प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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