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'बातां री बातां' राजस्थान रै लोक साहित्य माथै बंतळ

'बातां री बातां' राजस्थान रै लोक साहित्य माथै बंतळ

विवरण

राजस्थानी रो लोक हरे'क लोक रै जिंया अपार फूटरापै सूं भरयोड़ौ है। उणरो ओ फूटरापौ अंचळ मुजब बधै अर बिगसै। 'बातां री बातां' नाम रै इण सत्र में गजेसिंह राजपुरोहित चरचा नै सांभी है, जीवन सिंह अर प्रभात रै साथै। जीवन सिंह मेवात रै लोक साहित्य माथै बात करता थकां कैयौ कै "मेवात रो लोक साहित्य घणो सिमरध है, मेवात में 'बात' अर 'दूहा' घणी चावी विधावां है। बात री परंपरा है वा मिनख रै साथै है।" वां 'चंद्रावल गूजरी' जेड़ी बातां रो उल्लेख कर'न मेवाती लोक साहित्य री ओळखाण दीन्ही। बठैई पूर्वी राजस्थान सूं आयोड़ा कवि-लेखक प्रभात माड़-जगरौटी छेतर रै मिस दंगल, रसिया अर कन्हैया, ढांचा, लांगूरिया पद माथै लांबी चरचा कीन्ही। प्रभात री कैवणी कै "लोक साहित्य मांय जकी बातां है वां रै मांय अेक खास किस्म रो जीवन मूल्य समझण रो बोध छुप्योड़ो हुवै जे उणनै आपां आधुनिक अरथां में देखां।