ऊँकार अरूप रूप निरगुण निरवाणं।

नाथ निरंजण निराकार प्राण हंदा प्राणं॥

मनसा देवी दूसरी सिव सगति समाणं।

धरणि पसारी अेकड़ा अरघे आपाण॥

त्रिभवण ब्रहमंड येक बीस मंडे मंडाण।

दस दिगपाळ सिरज्जिया जम्मीं असमाणं॥

पवण पाणी मेर मेखळा ससिहर भाणं।

अष्टकुळी परबत अनळ सातूं महाराण॥

छप्पन कोड़ी मेघमाळ उडियण आथाणं।

नव निधि नव ग्रह नवे नाथ छत्रीस जुगाणं॥

चौरासी लख च्यार खाणि परठे परमाणं।

जम्मीं जेते कोटवाळ जे रै जमरांण॥

ब्रहमा बिसन महेस सेस बंदे फुरमाणं।

नागां देवा माणवां दैता भी आणं॥

भांजण घडण गुसाइयां क्या लग्गै हाणं।

रंक करै सुलितान कूं रंकां सुलताणं॥

मुसकल में आसाण है मुसकल आसाणं।

जळ नदियां थळवट करै थळवट नीवांण॥

वडा वडेरा बड बडा बड्डा दीवाणं।

अगम कहंदा निगम च्यार कत्तेब कुराणं॥

सुन्नि मंडळ बिच परम सुन्नि अणहद नीसाणं।

सहजै मिळै सतगुरु खरतर खुरसाण॥

सबद बतावै हेकड़ा तब होय कल्याणं।

पूरां सूरां पाइयां पूरा पुजवाणं॥

कुदरत्ती करतार दी कायम कुरबाणं।

तोरी किणहिन ताणवी करड़ी कब्बाणं॥

कहि कहि थाका सेसनाग बेहद्द बखाणं।

तूझ बडाई बरणंवूं हूं केहा जाणं॥

केसव अक्खै गल्ल सो सांई सुभियांण।

अलख निरंजण अेक तू वड्डा रहमाण॥

स्रोत
  • पोथी : नीसाणी- विवेक वार (गाडण केसोदास) ,
  • सिरजक : गाडण केसोदास ,
  • संपादक : बद्रीदान गाडण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली।