लाहा लै संसार दा अणलाहा डरणां।

आदू राह छांडिये सांई सूमरणां॥

हक्क हलाल सबाब है फरमाया करणां।

सो भी किया कबूल सांच सांचा पतगरणा॥

रिजक सदक नित बांटणां तिण थी निसतरणां।

फखर दियंतां ही भला मक्कर परिहरणां॥

दिये दिलावै सो खुदाय पिंड पोखण-भरणा।

मरदां खूबी देग तेग जग अज्जर जरणां॥

देखि बिडाणी जोख सोख दिल मज्झै डरणां।

सब कूं मीठा सबद स्वाल मुख थी ऊचरणां॥

चोरी जारी मुखबरी बद्दी बीसरणां।

सत सन्तोख ग्यान मोख नेकी आदरणां॥

कह्या कुराण पुराण भी बेदे ब्याकरणां।

जिन्ह एती पैदास की सो अबरण बरणां॥

सांई हन्दी सिर रजा चित साहिब चरणां।

ओट उसी दी तक्किये उस ही दा सरणां॥

धू धारण चित राखणा आपा ऊधरणां।

दुनिया ऊपर देखिये जम का पासरणां॥

कुण राजा कुण ही प्रजा कुण बूढा तरणां।

जेता जाया जीव है ते आखर मरणां॥

स्रोत
  • पोथी : नीसाणी- विवेक वार (गाडण केसोदास) ,
  • सिरजक : गाडण केसोदास ,
  • संपादक : बद्रीदान गाडण ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : प्रथम