कहीजै राजस्थान में सरुपांत भीलां रौ इज वासौ हौ’र बीजी जातां रै अठी उछरण सूं पेला इण मुलक रै खुणै खुणै माथै भीलां री रम्मत मंडियोड़ी ही पछै दूजी जातां आई अर लाई भीलां में अमरीका रा कदीमी वासियां (रेड इंडियनां) आळी हुई। नाठ दोड़ अर अेड़ी अबखी जागा आसरौ लेणौ पड़ियौ जठै दूजा लोग सोरै सांस पूग नीं सकता। आज भील राजस्थान, गुजरात, महारास्ट्र अर मध्यप्रदेस रै खासै लंबै चवड़ै इलाके में छीण छीण बिखरियोड़ा लाधै। राजस्थान में डूंगरपुर, उदैपुर, सिरोही, बांसवाड़ा, जैसलमेर अर जोधपुर में खासा भला भील मौजूद। 1961 री मरदमसुमारी मुजब राजस्थान में 908768, गुजरात मैं 1124282 महारास्ट्र में 575022 अर मध्यप्रदेस में 1229930 भील रेवै। 1971 री मरदमसुमारी री बेळा हुयोड़ी गिणती लेखै मुजब राजस्थान में 1396026 भील रेवै। गिणती देस रै कुल भीला री 23.68 फीसदी है। मेवाड़ में भीली इलाकौ भोमट नांव सूं चावौ है। भोमट रौ इलाकौ केई जागीरदारां री जागीरां में बंटियोड़ौ हौ। 1938 में ईस्ट इंडिया कंपनी अर मेवाड़ बिचै हुयोड़ै इकरारनामे मुजब भोमट में अमन राखण रो जिम्मौ कंपनी आपरै ऊपर ले लियौ। भोमट दौ पांतियां में बंटियोड़ौ हौ खेरवाड़ा अर कोटड़ा।

कोरै राजस्थान इज कांई सगळै देस में भीलां रा हवाला ठेट जूनकी बेळा सूं इज मिळण लाग जावै। रामायण अर महाभारत में परोटियोड़ौ ‘निसाद’ सबद असल में भील जात रौ इज जूनौं नांव है। पुराणा रै मुजब मनु रै बंस में अंग रै बेटै वेन रै ओलाद हुई कोयनी। वेन आपरो साथळ नै रगड़ी जिण सूं काळौ डटीड़ सूगलौ बेटौ जलमियौ। वौ निसाद (भील) कहाड़ियौ। केई लोग महादेव नै भीलां रा आदू वडेरा गिणै। बाण भट्ट री कादंबरी रै हिसाब सूं भीलां रा हवाला जूनै संस्कृत अर प्राकृत साहित्य मैं लाधै। कथासरित सागर में भील सबद मिळै। इण में भीलां रै अेक सरदार रौ बखाण हे जिण विंध्याचल रे राजा सामा पग रोप अर घणी मड़दमी बताई। मानव सास्त्री मजुमदार रौ मानणौ है भील सबद असल में तामिल भासा रै ‘भीलवार’ सूं बणियोड़ौ है। तामिल में भीलवार रौ म्यांनौ तीर कबाण राखणा वाळी जात व्है। आज तांई तीर कबाण अर भील अेक दूजै सूं काठा किड़’र जुड़ियोड़ा है। असल में तीर कबाण भील री पिछाण बणियोड़ा है। नेमीचंद जैन रै विचार सूं भील सबद सस्कृत रै भिल्ल सूं बणियोड़ौ है। राबर्ट सोभार जेड़ा विद्वान ‘निसाद’ नै भील रौ आद वडेरौ गिणै। अेड़ां केई लोग है जिकै मानै भील असल में द्राविड़ ‘बिल्ल’ सूं बणियोड़ौ सबद है।

राजस्थान में मानखै रा पगलिया जोवण वाळा बताबै अठै अेक सौ हजार बरसां पेला मिनख रेवता हा। भूंडा घड़ियोड़ा भाठां रै ओजारां रै पाण, जिका चंबल अर लूणी नदियां रै असवाड़ै पसवाड़ै मिळिया है, सार काडी-जियौ राजस्थान में बसण वाळै मिनखां रौ इतिहास उत्तौ इज जूनौं है जित्तौ बनास, गंभीरी अर वागां जेड़ी नदियां रै पसवाड़ां माथै रेवणियां मिनखां रौ है, अेक लाख बरस जूनौं। भील जै राजस्थान में आद जुगाद सूं बसियोड़ा हा तौ वांरौ इतिहास अेक सौ हजार बरस जूनौ हुयौ। भीलां री ठेट जूनकी करणी रा तौ कीं खरीका बावड़ लाधै कोयनी पण लंकाऊ राजस्थान रा भील अेकलव्य री बात घणै ठरकै सूं करै अर महरिसी बाल्मीकि नै भील गिणै।

626 ई० रै अेड़ै छेड़ै भीलां री मदद सूं नागादित्य नांव रौ ईडर रौ राजा उदैपुर रै पागती नागदा री थरपणा करतौ निगै आवै। गुहिल री आठवीं पोढी में बापा जिणरी आडो बेळा में भील आडा आ’र टेवकी राखी। बापा नै राजा बणावण में भील घणीज मदद करी। टाड लिख्यौ नवै राजा रै लिलाड़ माथै आपरै लोई सूं तिलक करण रौ काम जद पछै भील नै सूंपीज्यौ। ऊंदरी अर ओगना रा भील देस री आजादी सूं पेला तांई पाट बेठण वाळै राणा रौ तिलक आपरै लोई सूं काडता। तिलक काडियां पछै ओगना रौ भील आपरी बाथां में उन्चा अर राणा नै गादी बेवाणतौ। सोळवीं सदी में कीका (प्रताप) भीलां री मड़दमी अर गाड रै बूतै चोथाड़ी सदी तांई कीड़ी दळ अकबरी फौजां रै सामां पग रोपिया अर जस धिन रौ भागी बणियौं। बेळा-कुबेळा भीलां साची टेवकी राखी जिण सूं वांरौ किरियावर चवड़ै धाड़ै अंगेजण रै मोजू मत्तै मेवाड़ी झिंडै माथै तीर कबाण समैत भील नै ठावी ठोड़ मिळी।

सिरोही, कुसलगढ, डूंगरपुर अर बांसवाड़ा रै इतिहास बाबत कंठां रुखाळीजती बातां में भीलां री सामधरमी पाळतां हसतां मुळकतां आपौआप नै होमण री अलेखां मिसालां मोजूद। घणा घणा पठ्ठ वजावता सूरमा जिकण काम नै तरवार कटारी सूं पार पटकता भिचकै उड़ा अबखा अचूकरा काम भील भालै, भाठै मुठ्ठी सूं इज भचकै पार पटकता जेज नीं करै। साव छड़ौ तना जान भील रोई रा मोटा मोटा जिनावरां रौ सिकार आंख फुरकावां जितै जिते कर काडै। रोई भाखरां बिचै बीस कोस रौ पेंडौ भील सारुं अंगेई भारी नीं। रोई री बातां सारुं भील री कदीमी जाणकारी रौ कीं छे पार नीं। सोजी सावचेती अेड़ी पत्तौ खड़कण रौ म्यांनौ बता देवै। पागी अेड़ौ भाखर रै भाठै माथै पड़ियोड़ा पगां सूं बावड़ लै’र ठेट ठायै पूग जावै। इणीज गत घसक री अलेखां बातां भीलां सारुं चावी।

रिंदरोई अर अबखै भाखरां बिचै जीवारी रौ गाडौ गुड़ावण रै जतनां में जूंझता भीलां मा नवै जमानै री बातां रौ रंग गत्तूई नीं चढियौ। भोपै-भेरु अर टाणौ टोटकै री घोंस भीलां माथै अजै जमियोड़ी। जीवणै हाथ माथै चित-राम कोरावण रौ गजब चाव इण सारुं घणकरा भील बूकियै सूं कळाई तांई जीवणौ हाथ केई भांत रा चितरामां सूं भरदै। स्हैरी जीवण सूं कटिया फंटिया भील आपरी जूनकी चोखी भूंडी बातां नै आज तांई तांणियां बेवै अर कोई आं बातां नै सुगावै तो वांनै घणौ खारौ चिड़कौ लागै। इण सारुं केई बेळा भीलां रै समाज री कुरीतां सुधारण रा कळाप हुया तौ भील किड़किड़ियां खावण लागा।

राजस्थान रै इतिहास रा जगचावा लिखार कर्नल जेम्स टाड खिप खिपाय 12 मई 1825 रा नीठा ब्रिटिस सरकार अर भीलां बिचै समभोतौ करायौ। इस समझोतै मुजब भीलां इण बात रौ कवल करियौ वै चोर, धाड़ायतो अंगरेजी सरकार रा वैरियां नै आसरौ नीं देवैला। पण मन मतै रोई में दावै जठी दोठा देवणवाळा भील समझोतै रै घेरै में कद तांई रोड़ीजता। अंगरेजी सरकार रै सुधारां सूं कर नै खटपट सरु हुई। 1881 ई० में अंगरेज हकूमत भीलां री मरदमसुमारी, भीली इलाकां (भोमट) में थाणां री थरपणा, भीलां नै दारु छोडावण जेड़ा कळापां माथै उछरी। पीढी दर पीढी वडैरां रै खांधां माथै पळती फळती बातां नै अंगरेजां रै केयां सुगाय अर ठोकर ठोकण री कुण बुरीगार अंगेजतौ। अंगरेजां रै सुधारां री मंसा बाबत भीलां बिचै जित्ता मूंडा उत्ती बातां हूवणा ढूकी। उण दिनां अफगान जुद्ध अंगरेजां सारुं मरणी करणनी हुयोड़ौ।

भीलां में बात जोर पकड़ लियौ भीलां रो गिणती अफगान जुद्ध सूं जुड़ियौड़ी है। जुद्ध में अणूतौ खरच हूवण सूं अंगरेजी खजानै रा बाघा बोलगा। अंगरेज अणूती आफळियां खावै है। भीलां री गिणती रा लेखा इण सारुं लिरीजै मिनख दीठ टेक्स लगा अर अंगरेज आमदनी री मंसा राखै है। सोजीवान भीलां रौ मानणौ हौ अफगान जुद्ध में अंगरेजां रै फोजियां रा घणा इज पोखाळा हुया है बचिया कुचिया केठा कद पग छोड दै। भीलां रा लेखा इण सारुं लिरीजै सावळ जांच पड़ियां मोटियारां नै पकड़ पकड़ अर जुद्ध में भोकणा है। केई बूझबूझाकड़ां रै हीयैं अफगान जुद्ध री बातां नी ढूकी वांरौ मानणौ हौ गिणती हुयां पछै अणूती माती लुगायां नै वांरै जोड़ रा कोपता व्है जेड़ा भेंडा मिनखां नै सूंप देवैला जर साव मरियल मड़ी लुगायां नै वांरै लै पड़ता मुड़दार मड़कल, खेलरा हुयोड़ा मिनखां नै सूंपैला। मूंडा जित्ती बातां हूवण लागी। इण गत री घसकां अर गपोड़ा गांव गांव चावा हुगा। 1881 ई० में सुधार कानून लागू हूवतां भील भींभर नै भाभरा भूत हुग्या। इण वेळा बडा-पाल नांव रै थाणै रै थाणेदार बधूनापाल नांव रै भील नै हेर लावण सार सिपाई मेलियौ। असल में तौ इण बुलावै री जड़ जमीं रो झगड़ौ हौ पण पेला भींभरियोड़ा भीलां केठी कांई बातां घड़ी भांगी। सेवट हुई थाणै सूं आयोड़ै सिपाई नै तौ भीलां मार इज काडियौ। इत्त में इज गई नीं हुई। आगी आगी भौं रा कोई हजार तीनैक भील भेळा हू’र पूगा थाणै माथै। बडापाल रै थाणै माथै घेरौ घाल’र थाणेदार समेत सोळै जणां नै तीरां सूं बींद काडिया। उदैपुर खेरवाड़ा मारग नै सावळ काबू कर नै थाणै’र बाणियां री दुकानां रै चूंचकी चेप लाय लगादी। बावड़ पूगां मेवाड़ी राणै अेक फोजी टुकड़ी बईर करी। इण बिचै अलसीगढ रा भील बिड़ ग्या अर साचौ उघंगड़ मांड दियौ। अेड़ी भारी गड़बड़ मची अंगरेज सरकार अे.जी.जी.नै तुरतौतुरत उदपुर पूग जाब्तै रा जतन करणा रौ होकम दियौ। कर्नल ब्लेयर इण बेळा भीलां रै बिड़णा री जौ वजै बताई वै इण मुजब है—

(1) भीलां री मंसा ही जै वांनै इण बात री सुवौ व्है फलाणी लुगाई डाकण है तौ बिना अगर मगर करियां उणनै मारण री छूट तुरंत मिळै।

(2) भोमट (भीली इलाकां) सूं पुळिस चोकियां रौ पापौ कटै।

(3) भीलां रै आपसरी कजियां में महाराणा भवै टांग नीं अड़ावै।

(4) आगै सूं मरदमसुमारी रो नांव नीं रेवै। भीली इलाकां में गिणती फिणती हरगिज नीं व्है।

इण बेला हुयोड़ै बखेड़ै री जांच कर्नल ब्लेयर करी। ब्लेयर रोळै रौ निवेड़ौ करण सारुं खासी माथापिच करी। भीली इलाकां में फिर फिर नै दाठीक गिणीजण वाळा भीलां सूं सल्लासूत करी। ब्लेयर नै भीलां सूं बंतळ करियां इण बात रौ गिनार हुयौ मेवाड़ी फोज केई बेळा भीलां माथ नीं नीं जेड़ा जुल्म करिया। सगळी नाठ दोड़ पछै ब्लेयर भीलां नै समझाया वांनै मेवाड़ सरकार सूं बातचीत करणी जोईजै जिण सूं सुलै सफाई हुजावे अर आगै रोळा रपटा नीं व्है। ब्लेयर री खप्पत बिरथा नीं गी सेवट रंग लाई अर भीलां मेवाड़ी अफसरां सूं बातचीत री हामल भरली। सगळी बातां धारियां विचारियां पछै भीलां रा कोई पांचेक बीसी टाळवां दाठीक लोग मेवाड़ी मुत्सद्दियां सूं बातचीत सारुं रखबनाथ में भेळा हुया। मुकर दिन मेवाड़ रा अफसर उठ जाय पूगा। गतौगत बातचीत हूवणा लागी। ब्लेयर लिख्यौ सगळी कारवाई रा ढंग ढाळा सावळ इज दीसता हा अर यूं लखावण लागौ बात ठाणै आयगी। अजै बात-चीत हूवतीज ही दाड़ी मांय सूं साप निकळियो अचाणचक अेड़ौ राफारोळौ हुयौ सगळी बात बिगड़गी। हुई यूं मेवाड़ रा मुत्सद्दी स्यामलदास।

अेक भील मुखिया ने पूछियौ आखिर थे सरकार सूं समझोतौ क्यूं नी करौ?

घोचै रौ छूटणौ अर आंख रौ पटणौ वाळी हुई। सवांई स्यामलदास भील मुखिया नै पूछियौ अर सागै पल इज अणफैं में कीं सिपाई आप री बदूकां भरण लागा। भील समझोतौ पार पटकण री धार नै आया हा इण सारुं सगळा साव छड़ा इज हा। तीर कबाण तो आगी अेकण कनैं गोफण दुरादुर नीं ही। अठी तौ स्यामलदास घुड़की पिलाई अर ऊठी सागै पल इज बंदूकां भरीजण लागी जिण सूं भील समझिया दगौ हाका दड़बड मचगी। भील तौ पड़ पड़ नाठणा लागा।

इण कोतकरासै में किणी हळफळीज्योड़ै बंदूक छोड दी। पछेस तौ कुण कै ब्यांव भूंडौ। अेड़ौ राफारोळौ मचियौ सगळा डाफी चढगा। पड़ता गुड़ता भील भाखरां भिळगा। बात घणौ माजणौ बिगड़ अर भीलां रै गांव गांव पूगी। इण सूं मरणी करणी कर नै भील आन्दोलन माथै उतर ग्या। जागा जागा घणी रोळघट मची। सेवट मेवाड़ महाराणा खुदोखुद बिचै पड़ पडाय भीलां सूं समझोतौ करियौ। इण बेळा भोलां री घणकरो बातां हांकरीजगो। बडापाल रै थाणेदार अर उसा साथै बीजा लोगां नै मारण वाळा भीलां नै माफी बख्सीजगी। भोमट री मरदमसुमारी टळगी।

भीलां रै इण बखेड़ै रौ बखाणा चावा क्रांतिकारी केसरीसिंघ बारहठ इण मुजब करियौ:- संवत 1937 रै वेसाख मैं हिन्दुस्तान में मरदमसुमारी हुई। मेवाड़ में भीलां री गिणती री बेळा अेक डफोळ बोलाक थाणेदार री लप्पर चप्पर सूं भारी बवंडर मच ग्यौ। जद भील पूछियौ म्हौरी गिणती किण सारुं व्है तौ थाणेदार लपरकौ लै लियौ थांरी लुगायां मांय सूं लंब तड़ंग नै लांबा डांग मिनखां अर ठींगणी नै वांरी जोड़ जोग खाटरा (गुटिया) मिनखां नै सूंप देवांला। इण माथै भील भींभरग्या अर ढोल पीट बलवौ कर दियौ। लाग बाग री जास्ती अर लूट खसोट माथै रोक सूं वै खार खायोड़ा तो हाइज। इण मोकै साचौ रोळौ मांड दियौ। थाणेदार नै मस्करी भारी पड़गी। थाणेदार अर उण साथै जित्ता अेलकार हा सगळा नै मारियां पछै आखै मगरा जिलै में राज रा आदमियां रै आफत करदी। विद्रोह री लाय कोई तीन लाख भोला बिचै चोंफेर लगगी। सेवट इण बखेड़ै नै निवड़ावण सारुं स्यामलदास, सेना रा कमांडर-इन-चीफ मामा अमानसिंघ, लोनार्गन अर पुळिस अफसर रहमानखा नै महाराणा अेक खासी भली फोज साथै मगरा जिलै धकी बईर करिया। मेवाड़ री भीलवाड़ रौ सिलसिलौ टेट बंबई प्रांत तांई पूगोड़ौ। भील-कजियौ कठैई अंगरेजी हकूमत रै इलाकां में नीं फेल जावै इण सारुं ब्रिटिस सरकार खेरवाड़ा री छावणी रा दौ अंगरेज अफसरां नै उदैपुर री फोज में मेल दिया।

खासी नाठ-दोड़ पछै उदैपुर रा अफसरां अर भील पंचां बिचै बातचीत मुकर हुई। बात तै हुई अेक कानी राज रौ तोपखानौ अर फोज रेवैला अर दूजै कानी भील ऊबा रेवैला। दोनां रै अेन मझ में भील पंच राज रा अफसरां सूं बातचीत करैला। बातचीत में भिळण वाळा दोनूं पख्खां रा लोग आप साथै किणी किसम रौ हथियार नीं राखेला। कोई पांच सौ भील पंचा ने स्यामलदास समझावण लागा। आगती-पागती भाखरां माथै केई दौ लाख भील इण बातचीत रौ नतीजौ सुणण सारुं ऊंतावळा पड़ता हा। इस बेळा किणी अचपळै भील कुचमाद करी अर अेक तीर छोडियौ जिकौ राज रै अेक सिपाई रै पग में जा लागौ। सिपाई नै थोड़ौ खटाव राखणौ हौ पण उण रीस में पाछी बंदूक छोड दी। बंदूक रो भोटकौ हूवतांई लाखां भील दगौ दगौ री आवाज सूं अकास गूंजा दियौ। स्यामलदास इण बेळा घणी सावचेती अर नेठाव राखियौ पर भील पंचां नै कह्यो म्हे सगळा साव छड़ा थांरै बिचमैं ऊबा हां पछै दगौ केड़ौ?

किणी मूरख फौजी अणफैं में कालाई करदी है, म्हैं हणौं उण डफोळ नै थांरै सामीं पेस करुं। थै मन पड़ै जिको सजा उणनै दै सकौ। इण माथै भील पंचां भाप आप री पछेड़ी हाथ मे लै’र हिलाई। पल भर में इज हाकादड़बड़ रुकगी। बंदूक छोडण वाळै सिपाई नै हाजर करियौ। इण बेळा स्यामलदास कह्यौ तीर छोडण वाळै भील नै लायौ जावै। थोड़ी ताळ में पंच उण भील नै हाजिर कर कह्यौ पेला इण कुचमाद करी सौ आप इण नै डंड सुणा दौ।

इण माथै स्यामलदास कह्यो कपूत बेटै री गल्तियां बाप माफ करै ज्यूं म्हैं महाराणा रै नांव माथै इण भील नै माफ करुं। इस पछै पंचां सिपाई सारूं माफी रौ अेलान कर दियौ। सगळी बात पाछी ठाणै आयगी। पण बंदूक छूटण री बेळा लाखां भील किलकारियां करी जद पूणक मील माथै डेरै में पड़िया दोनूं अंगरेज अफसरां रौ जीव जागा छोड दी अर दोनूं जणां घोड़ां माथै काठी धरण जित्तौ टेम गमावणों बिरथा गिण खेरवाड़ा धकी तैतीसा मनाया। खेरवाड़ा पूग दोनां अेक रपोट ब्रिटिस सरकार नै मेली जिण में लिख्यौ मेवाड़ रा अफसर साव डफोळ है, बिना हथियार वैरियां रै बिचै ग्या परा। भीलां उणां माथै हमलौ कर दियो। इण रपोट माथै ब्रिटिस सरकार महाराणा नै लिख्यौ भीलां रै रोळै ने दबावण में मेवाड़ री ढिलमिल नीति रौ असर उण री सींव सूं जुड़ियोड़ै ब्रिटिस सरकार रै गुजराती इलाकै माथै पड़ सकै। भीलां रौ बखेड़ौ तुरत दबायौ जावै। इण रै पङूतर मैं स्यामलदास रै मारफत मेवाड़ सरकार लिख्यौ “जिकण ताकत रै बूतै महाराणा आपरी इण वसी माथै 1200 बरसां सूं राज करता आया है वा ताकत अबार महाराणा कनै मोजूद है। ब्रिटिस सरकार तो अगदाड़ै आई है, म्हानै उस री मदद री कीं जरुत नीं है। मुकाबलौ किणी बारलै वैरी सूं नीं है, महाराणा आपरा लोगां नै मार अमन री मंसा नीं राखै। प्रजा सांति सूं बेटै दाई पुचकार नै समझाई जा सकै।

ब्रिटिस हकूमत नै आपरै इलाकै में बखेड़ै रौ अंदेसी है तौ आपरै घर रौ प्रबंध उणनै आप इज करणौ पड़सी। इण बात रौ जिम्मौं मेवाड़ रौ भवै नीं है” कहीजै साच चावी हुयां अे.जी.जी. दोनूं भगोड़ा अंगरेज अफसरां नै मोकूफ कर दिया।

भीलां सूं मेवाड़ रौ समझोतौ हुयां मेवाड़ी इलाकां में तौ निवेड़ौ हू’र केई दिनां सारं ठार वापर ग्यौ। पण धोळियै नै उठायौ जित्तै काळियौ बेठग्यौ। उदैपुर नै चेन आयौ जित्तै डूंगरपुर में भचाभच मचगी। 13 जून 1881 रा डूंगरपुर में भीलां 9 मकराणियां नै मार काडिया। राज रा कारिंदा मोकै माथै पूगा तौ वां माथै तरवारां अर तीरां रा वार हुया। सेवट राज रा 300 बख्तरबंद सिपाई भीली इलाकां में बखेड़ौ रफा दफा करणा रै मत्तै सूं मेलीज्या।

इस फोज धणी नाथावती करी। रोई में छड़ी बिछड़ी भीलां री झूंपड़कियां रै तुग्गी लगा अर पापौ इज काट दियौ। चार भील तौ मरिया अर केई कुटीज नै लोईझाण हुया। अठी भीलां रा मरमट गाळण रे मत्तै सूं मेवाड़ी फौज 16 मार्च 1882 रा भोमट में बड़ भोलां नै साजा फंफेड़िया। सेवट दोवड़ी मार सूं भील डरुं फरुं हू डाडण लागा जद 28 फरवरी 1883 रा समझोतौ हुयौ। इण समझोतै री खास गिणावण जोग बातां इण मुजब हो:-

(1) भील बात अंगेजली किणी लुगाई माथै डाकण रो तोमत घर उण रा भूंडा ढाळा नीं करैला।

(2) भीलां काळीजी (देवी) री सोगन लै’र समझोतै माथै पूरै अमल रौ कवल करियौ।

(3) इण समझोतै पेटै भीलां आपरा सगळा सस्तर राज ने सूंप दिया। रोई में जीवारो रौ धाकौ धकावण सारुं भीलां आप कनैं कोरा तीर कबाण इज राखिया।

(4) भीलां जो उधम मचायौ अर मार काट करी उणरी अेवजी 2100 रिपिया डंड रा भरैला।

(5) कवल हुयौ डोडैक मईनैं में मकरासियां नैं मारणवाळा गुनेगारां ने राज कनैं पुगाय देवैला।

इण समझौतै पछै कोई दिनां अमन-चेन वापरग्यौ। इण गत उगणीसमी सदी रा भील आन्दोलन पार नीं पड़िया अर बखेड़ो करण वाळा भील साचा किचरीज्या। इण बात माथै सावळ गिनार करियां बात खटकै भील मरण मारण माथै तुलियोड़ा अर उणां मैं वीरता री कमी नीं पछै वांनै पटक पछाड़ी क्यूं लागी। उगणीसमी सदी मैं भीलां जकी उछळ कूद करी वा साव बिरथा क्यूंगी। इण आडी रै खुलासै सारुं उगणीसमी सदी रै छेलै छेड़ै हुयोड़ी सगळी बातां ने निरखां परखां तो अै बातां सामी आवै:-

(1) उगणीसमी सदी रा भील किणी खास मुद्दै सारुं आन्दोलन नीं करियौ। असल में इण बेळा री घणकरी बातां भीलां तबूझपण अर कालाई रा नामून लखावै। बापड़ी बूढी ढाढी लुगायां माथै डाकणपण रो काळस मड़ वांरी कपीतां करण अर मरदमसुमारी नीं हूवण देवण रौ आड़ी करियोड़ा भीलां रौ वळु कुण बणतौ। आप भीलां मांय सूं केई सोजीवान अर सावचेत हा जिकै इण रोळघट में भेळा नी भिळिया तौ कांई इचरज। इण मुजब नाकुछ नासमझी री बातां ने लै’र पग पटकण सूं इण समैं रा भील आन्दोलन खरीकै म्यानै में आन्दोलन हाइज कोयनी। जद आंरौ जन आघार कीकर बणतौ।

(2) इण बेळा भीलां री अगवाई करण वाळा पंच जोग अर सावचेत नीं हा। धकै आवतां गोविंदगरु अर मोतीलाल तेजावत जेड़ा नेता भील आ्न्दोलनां री राछां सांभी जद आन्दोलन कारगर बणिया।

(3) उगणसमी सदी में भीली समाज में घर करियोड़ी कुरीतां नै खतम करण रा कळाप करण वाळी कोई संस्था नीं ही। धकै आवतां ‘संप सभा’ ‘अेकी’ अर ‘सेवा संघ’ सरीसी संस्थावां भीली समाज री कुरीतां काटण रा जतन कर भीलां री ऊंघ उडावण सारुं वांनै सावळ छंछेड़’र चेतावणी रा चूंठिया भरिया जद भील चेतन हुया। पेला इण गत री संस्थावां नीं हवण सूं भील कुरीतां में कळीजियोड़ा रिया अर अेकै इकळास बिना छड़िया बछड़िया भीलां पग पटकिया तौ बात पार नीं पड़ी।

(4) भोमट रा भील जागोरी जुल्मां सूं कुटीजता अर महाजनां रै हाथां सूं लुटीजता। इण दोवड़ी मार रै साथ राज री लाग-बाग अर बेठ-बेगारू सूं वां मैं साव नाजोगपणौ अर निबळाई घर करियोड़ी ही। आप भीली समाज री कुरीतां आगै पतळी छा में भळै पड़ण वाळै पाणी दाई भीलां री गत विगाड़ राखी ही।

(5) उगणीसमी सदी में भीलां अहिंसात्मक आन्दोलन रौ आसरौ लेवण री बजाय राज री फोजां सामां पग रोपण रा कळाप करिया। इण गत रा भगड़ा सांतरा हथियारां सूं पार पड़ै। अगरेजां अर वांरै पिठ्ठू रजवाड़ां कनै बंदूक तमंचा कांई तोपां तांई त्यार ही जद गोफणां अर घोचां रै तीर कबाणां रा कठै थाग लागता।

(6) उदैपुर, डूंगरपुर, सिरोही, बांसवाड़ा अर मारवाड़ दाई गुजरात रा किताई इलाकां में भील बसियोड़ा। सगळी रियासतां में इण बात रौ अेकौ हौ भीलां नै चळण नीं देवणा। इत्ता रजवाड़ा रै फौजबळ सामी छड़िया बिछड़या छड़ा भील टिकता किताक।

(7) ब्रिटिस हकूमत रा सगळै रजवाड़ां सूं करंरनामा हुया थका इण सारुं अड़ियै ब़ड़ियै रजवाड़ां री टेवकी राखण सारुं पेरामाउंट पावर अड़ीजंत ऊभी।

बीसवीं सदी में जिकै भील आन्दोलन चैतिया वै पेली वाळां दाई अणखा दो में हुयोड़ा रोळा नीं पण सावळ धार विचार नै जुल्म जास्ती रै खिलाफ हुयोड़ा आन्दोलन हा। बीसवीं सदी री सरुपांत में, चिपतांई तौ भीलां नै गोविंदगरु अर थोड़ाक पछै मोतीलाल तेजावत जेड़ा खरीका अर सतवंता नेता मिळिया। इण बेळा अेड़ा जबर आन्दोलन हुया भीली रेवास वाळा रजवाड़ा रै साथै आप अंगरेजी सरकार री पींडियां धूजण लागगी।

गोविंदगरु रौ जलम संवत् विक्रमी 1915 रा माह मइनै रे चांदण पख री पूनम (20 दिसम्बर 1858) रै दिन हुयौ। डूंगरपुर राज रै बांसिया गांव में अेक बिणजारा गवाड़ी में जलम लेवण वाळा गोविंदगरु धकै जावतां भीलां रै आन्दोलन रा अगुवा बणिया। गांव रै पूजारी कनै लिखणौ-पढणौ सीखण वाळा गोविंदगरु असल में भणिया तो कम पण गुलिया घणा। गांव रै इण पूजारी रौ सिप्पौ गोविंदगरु माथै घणौ इज जमियों क्यूंक साव अदना बिणजारा गिवाड़ी रा हूवतां थकां सिनान अर पूजा पाठ करियां टाळ भवै नीं जीमता। जिण घर में दारु-मांस रौ सेवन हूवतौ उण घर रै अन्न रौ दाणौ मूंडै में धरणौ पाप गिणता। गळै में रुद्राक्स री माळा राखता। इण गत रै सात्विक जीवन सूं कर नै लोग आंनै भगतजी अर गोविंदगरु जेड़ां नांवां सूं ओळखण लागा। भगवत गीता माथै पक्को भरोसौ राखण वाळा गोविंदगरु उण समैं री राजनीति री पूरी जाणकारी राखता।

सन् 1880-81 में दयानन्द सरस्वती राजस्थान रो दोरौ करियो। अजमेर मेरवाड़ा हूवता स्वामीजी उदैपुर पूगा। इण बेळा गोविंदगरु स्वामीजी सूं मिळिया अर खासी बेळा स्वामीजी रै साथै रिया। स्वामीजी रै इण सतसंग रौ गोविंदगरु माथै घणौ इज असर पड़ियौ। कहीजै इण सतसग रै असर सूं इज धकै भरावतां गोविंदगरु ‘संप-सभा’ री थरपणा करी। तीस बरस री उमर में गोविंद स्वामीजी सूं मिळिया पर कोई दौ बरसां तांई वांरै साथै रिया। कहीजै इण बेळा गोविंद भीलां री काया कळप री धार ली। स्वामीजी सूं भीलां बिचै काम करण री छूट लै’र गोविंद भीलां बिचै पूगा अर कोई चोथाड़ी सदी (ई० 1883-1908) तांई भीलां नै संगठित करण रै जतनां में जुत ग्या।

भीलां बिचै घूम फिर अर गोविंदगरु ‘संप-सभा’ नांव रो संगठन थरपियौ। अठै फेर आई बात गिणाईज सकै गोविंदगरु नै आपरी बातां भीलां रे हीयैं ढूकावण सारुं राजस्थानी भासा रौ इज आसरौ लेणौ पड़ियौ। आप ‘संप सभा’ राजस्थानी रौ इज सबद है। संप रौ म्यानौं अेको, मेळ, संगठन, स्नेह, भाईचारौ आद है। कहीजै सभा री थरपणा किणी राजनैतिक दीठ सूं नीं हुई ही पण भीली समाज री कुरीतां कटियां राजावां रै गिरै हुजावती। भीलां में अेके रा जतन राजा-जागीरदार रै भारी पड़ सकता हा। इण सारं जागीरदार संप सभा माथै भुटता किड़किड़ियां खावण लागा। गोविंदगरु संप सभा रै जरियै भीलां बिचै जिण बातां नै फेलावण रा कळाप करिया वै इण मुजब गिणाइज सकै:-

(1) चोरी, धाड़ै लूट जेड़ी गैरकानूनी बातां रै नेड़ौ नों फटकणो।

(2) दारु मांस रै हाथ नीं लगावणौ।

(3) करसण पर मजूरीं सूं परवार रौ पेट पाळणौ।

(4) सिनान, भक्ती, ध्यान जेड़ी बातां अपणा घर सात्विक जीवन बितावणौ।

(5) गांव गांव भणाई री पोसाळां री थरपणा कर टाबरां नै जरुर भणा-वणा। मोटियारा अर अदखड़ां नै थोड़ा घणां लिखण पढण जोग बणावण री कोसीस।

(6) आपसरी कजियां नै पंचायतां सूं निवेड़णा।

(7) अन्याव घर जुल्म रौ सामनौ पूरी ताकत सूं करणौ।

(8) बेठ-बेगार नीं देवणी।

(9) टाबरां नै सोजीवाना री संगत में राख अर वां में चोखा संस्कार निपजावण।

(10) विदेसी चीजां नै सुगावतां ठोकर ठोक अर देसी चीजां नै इज परोटणौ।

संप सभा री घणकरी बातां रौ राजनीति सूं कीं तल्लौ बल्लौ नीं हौ तोई राजा, जागीरदार अर राजरा अफसरां नै बेठ-बेगार नीं देवणौ, अणूताई रै सामां पग रोपणा, राज री कचेड़ियौ रो आसरौ लियां बिनां आपसरी कजिया निवेड़णा इत्याद अेड़ी बातां ही जिण सूं राजावां अर जागिरदारां रै चिड़कौ लागणौ इज हौ। उण बेळा राजा धरती माथै देवता रा दूत गिणीजता अर वांरी मंसा मुजब करण में लोग आप रा धिन भाग गिणता। राज रै खिलाफ सुस्कारौ करियांसूं घांणी में पिलाईज जावता। जद अेड़ी बेळा चवड़े धाड़ै बेठ-बेगार नकारण री बात घणकरां रै गळै कीकर उतरती। पछै अेक जागा री छूट दूजी जागा रा लोगा नै उकसावती। सौ राजा-जमींदारां रै तौ चिड़कौ लागणौ इज हौ। सिळता सिळता गोविंदगरु अर वांरी संप सभा राज रै गिरै करता हा इण सारुं राजावां रै धपळकां ऊठिया तौ कांई इचरज। सौ इण बात में की ततब नीं है संप सभा रौ राजनीति सूं कीं सरोकार नीं हौ।

संप सभा रा मेम्बर भक्त कहीजता अर रुद्राक्स री माळा ठठायोड़ी राखता। गोविंदगरु संप सभा री थरपणा पेलपरांत सिरोही रै भीली इलाकै में करी जकौ करती करावती सगळै लंकाऊ-ऊगूणै भीली इलांकां में पूगगी।

डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, लंकाऊ मेवाड़, ईडर, गुजरात मालवा रा भीली इलाकां रै गांव गांव में संप सभा रो जोर घणौ इज बध ग्यौ। गोविंदगरु री पेठ भीलां बिचै तर तर बघबौ इज करी। गोविंदगरु रै मूंडै रा बोल भीलां सारुं कानून हा अर इण बोल रौ मोल वै माथै सटै जरुर राखता। गोविंदगरु री सीख मुजब भीलां रै घर घर में धुणी चेतन हुगी। भील कोई मंतर बीजा तौ जाणता कोयनी पण गौविंदगरु रै कह्मां आपरै घर में धुणी जगा’र घी खोपरा होमणा लागा। इण होम सूं भीलां रै मन में सांति रैवती अर इण बात रौ थावस हूवतौ वां माथै कोई आफत नीं आवैला।

1903 ई० में माह मइनै रै चांदण पख में सागै पूनम रै दिन मानागढ री पहाड़ी माथै अेक मोटी धुणी जगाई। गुजरात, बांसवाड़ा अर डूंगरपुर रा हजारां भील अेक नारेळ अर बाटकी भरियौ घी लै’र मानागढ री भाखरी पूगा। घी धुणी में होम अर नारेळ उठै इज राख देवता। मानागढ़ री पहाड़ी माथै नारेळां रौ भाखर चुणीज ग्यौ। पछैस तौ आयै बरस मानागढ री भाखरी माथै माह मइनै पूनम रा तर तर सवायौ मेळौ भरीजण लागौ। मेळौ प्रसल में संप सभा रौ सालाना इजलास हौ गोविंदगरु रा डेढ लाख रै लगै ढगै भील चेला आयै बरस मानागढ रै मेळै पूगता।

सिरोही, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, मेवाड़ पर गुजरात रै भीली इलाकां रा राजा जागीरदार संप सभा रै मारफत भीलां में अेकै सूं हड़बड़ीज अर भीलां बिचै फिदड़का नाखण रा कळाप करिया पण सावचेत भीलां रै धकै वांरी दाळ गळी कोयनी। सेवट कुसलगढ, बांसवाड़ा अर डूंगरपुर रै राजावां अे. जी. जी. नै अरज करी भील संगठित हू’र न्यारौ भील राज कायम करण माथै उतारु हुयोड़ा है। राजावां री सिकायत माथै अे. जी. जी. खेरवाड़ा छावणी रा फोबी अफसरा नै ताकीद करी वै गोविंदगरु ने गिरफतार कर भीलां रा हथियार खोसलै। 7 दिसंबर 1908 (माह, पूनम, संतरत् 1965) रै दिन हजारां भील मानागढ रै भाखर गोविंदगरु री संप सभा में भेळा हुया। आपरी मौज-मस्ती में अेके इकळास री बातां में लागोड़ा हा अंगरेजी फौज भाखरी नै चारं मेर सूं घेर नै अंधाधुंघ गोळियां बरसावण लागी। कहीजै भाखर माथै लासां रौ धुक्कौ लाग ग्यौ तर कोई 1500 नेड़ा भील गोळियां रा भख बणिया। आप गोविंदगरु कैद हुया अर वां माथै सुंथरामपुर राज रै गठरा गांव रै थाणेदार रै कतल रौ तोमत धर मुकदमौ चलाईज्यौ। असल में कतल पूंजाधीरा नांव रै भील करियौ हौ। पूंजा नै ठोक पींज अर पुळिस बात कहलवाई गोविंदगरु उणनै गांजी पायौ जिण सूं नसै में आपौ भूलियोड़ै उण थाणेदार रौ कतल कर दियौ। कानूनी इल्लम टिल्लम पछै गोविंदगरु नै फांसी री सजा बोळीजी। फांसी देवण री छाती पड़ी कोयनी जद सजा बदळीज अर 20 बरस री करीजी। इण पछै अपील में सजा आधी हू’र दस बरस रेयगी। थोड़ी घणी सजा काटियां पछै गौविंदगरु छूटा तौ परा पण वांरै सुथरामपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर भर कुसलगढ में बड़ण माथै पाबंदी लागगी। जेळ सूं छुटां गोविंदगरु ब्रिटिस इलाकै दाहोद (गुजरात) रै पागती झालोद कस्बै में सर्वगवास हुयौ जठै तांई रैया।

मानागढ री भाखरी माथै आज तांई बरसौ बरस माह मईनै री पूनम रै दिन जबर मेळौ भरीजै। आखी रात भजन कीर्तन व्है।

अणूतै टेक्स अर बेगार सूं काठा काया हुयोड़ा मेवाड़ री पहाड़ा जागीर रा भील 1917 ई० में आन्दोलन मारथ उछरिया। इण बेळा बिजोळिया आन्दोलन री धमचक जोरां माथै ही जिण सूं भीलां रा कुंद पड़ियोड़ा जीव खुलिया। जागीरी जुल्मां अर बेगार री मार सूं साव धरतियां आयोडां गिरासिया भीळां जागीरी जुल्मां अर बेगार री मार सूं साव धरतियां आयोड़ां गिरासिया भीळां साथै भिळ ग्या। घणी हाकाढड़बड़ पछै भील-गिरासिया मई 1917 में महाराणा कनै पहाड़ा जागीरदार री अणूताई रै खिलाफ अपील करी। सगळी बातां री सावळ जांच करियां पछै 16 नवम्बर 1918 रा महाराणा कूंतै अर पेटियै बाबत केई रियायतां करी। महाराणा भरोसौ दिरायो अणूती बेगार बाबत सिकायतां री जांच करीजैला। भील-गिरासियां रै महाराणा री बात जमी कोयनी इसा सारुं वै इल्लम टिल्लम करबौ करिया। इण बेळा खेरवाड़ा रै अंगरेज पालिटिकल सुपरडंट अर मेवाड़ रै रेजिडंट रै तोड़ियोड़ां तड़फा बिरथा ग्या अर पहाड़ा में रोळघट मचियोड़ीज री। करतां करतां भीलां रौ आन्दोलन सगळै मेवाड़ी भोमट में फेल ग्यौ। इण बेळा भील आन्दोलन री राछां मोतीलाल तेजावत रै सावचेत हाथां में पूगगी।

मोतीलाल भीलां नै चेतावण रा जतन करण वाळां में सगळां सूं जोग, सावचेत अर दाठीक गिणीजै। मेवाड़ रै आदिवासी इलाकै फलासियां रै गांव कोल्यारी में सं० 1944 (ई० 1886), जेठ सुद अेकम रै दिन ओसवाळ गवाड़ी में मोतीलाल तेजावत रौ जलम हुयौ। आंरै पिता रौ नांव नंदलाल अर मां रौ केसरबाई हौ। कोल्यारी में इज हिन्दी, उड़दू अर गुजराती भासावां सीखी। बाईस बरस री उमर में कोल्यारी रै पागती गांव झाड़ोल में लहरबाई सू परणीजिया। मोटियार पणै मोतीलाल झाड़ोल रै जागीरदार कनै कामदार रो पद सभाळियौ। उण बेळा महाराणा दोरै माथै निकळता जद जागा जागा जागीरदारां नै हाजरी देणी पड़ती। मोतीलाल नै झाड़ोल ठाकर रै साथै जहाजपुर, नाहर, मगरा अर जयसमंद जावण रौ मोकौ मिळियौ। इण बेळा मोतीलाल भीलां में घणा वाला बीतता देखिया। तरै तरै सूं बेगार में रगड़ाई, बिना तुसियौ दियां घास, लकड़ी आद लेवणा, नाकुछ बात माथै जूतां सू जंतराणा, भीलां नै भूखा तिरसा राखणा अर बापड़ां में नीं नीं जेड़ी कुपीतां करणी। इण गत री अलेखां बातां निजरां देखियां सूं मोतीलाल रौ जीव फाटग्यौ। आठ बरस तांई झाड़ोल में कामदारी करियां पछै भीलां रा भूंडा ढाळा देख ठिकाणे री नोकरी छोडदी। इण पछै केई दिनां झाड़ोल रै इज अेक सेठ री दुकान माथै मुनीमगिरी संभाळी। अठै घणकरा गिराक भील इज। अठै बहियां में भीलां माथै लेणै रा कोट चुणीजता देखिया। फेरुं मोतीलाल रै जीव में तळतळाटौ लागा। मिनख री मिनख माथै इत्ती अणूताई। दोनूं जागा री नोकरियां री बेळा भीलां साथै हूवती जुल्म-जास्ती सूं मोतीलाल रौ जीव हिल ग्यौ। कामदार वण भीलां नै कुटीजता देखिया तौ मुनीम बणियां वे लुटीजता लागा। काळजौ कळपीज अर मठोठा खावण लागौ। भीलां री गत माथै तरस आयौ। टणकाई री कूट अर बहियां में हूवती लूट देख झाळ झाळ छूटगी। सरदा मुजब खिप खिपा’र भीलां नै पगां करण री तेवड़ली। कामदारी रौ काळौ मूंडौ करियौ ज्यूं इज मुनीमगिरी रै माजणै धोबां धूड़ नाखता सेठां री नोकरी रै ठोकर ठोकदी। मोतीलाल तेजावत आपरी डायरी (मेवाड़ पुकार) में राजा, जमींदार, राज रा, अफसर अर अहलकारां रा गरीब भीलां माथै अणूता जुल्मां रौ घणौ खारो बखाण करियौ है। अणूती लूट-कूट सूं भीलां रौ पिंड छोडावण री धारियां पछै मोतीलाल कूद पड़िया भीलां बिचै अर अेड़ौ अलख जगायौ भीलां माथै जुल्म करण वाळां रा जीव जागा छोड धुकधुकी छूटगी।

भीलां नै चेतावण री धारियां पछै मोतीलाल सामी पेली अबखाई आई रोई अर अबखै भाखरां में छीण छीण बिखरियोड़ा भीलां बिचै पूग कीकर। सेवट अेक तजबीज विचारी। चित्तौड़ रै पागती मातृकुंडिया में वैसाख पूनम रै मेळै में अेक लाख रै लगै टगै करसां रौ जमघट आयै बरस लागतौ। इणां में घणकरा भोमट रै गांव गांव रा भील हूवता। सं० 1977 रै वैसाख पूनम रै मेळै मोतीलाल तेजावत जाय पूगा। इण बेळा घणकरा भील अणूता जुल्मां सूं संताईजतां संताईजतां आंती आयोड़ा हा इज। बिजोळिया आन्दोलन थोड़ी घणी हिम्मत बंधाई व्हैला। मोतीलाल पेला ठावका गमेतियां सूं बातचीत करी। वांनै समझाया। सगळा बात मान ग्या राज रौ टेक्स भवै नीं भरैला अर कोई बेगार नीं देवैला। पंच अेक दूजै सूं खुसर पुसर करी पछै आम सभा में तेजावत रौ भासण हुयौ। लोगां माथै मोतीलाल री बातां जबर असर करियौ। अेकलिंगजी री सोगन लै’र लोगां अेकौ राखतां, लाग-बाग अर बेगार नीं देवण रौ भरोसौ दिरायौ। मेळौ बिखरियां गामेतियां आप आप रै गावां में पूग अर लोगां नै ‘अेकी’ में भिळण सारुं आखड़ियां लिराई। तेजावत रै हाथ रा लिखियोड़ा पुरचिया गांव गांव पूगा। ठौड़ ठौड़ कमेटियां बणगी अर लोग टेक्स अर बेगार नीं देवण माथै तुलगा। इण बेळा मोतीलाल गांव गांव पूग अर लोगां नै अेकी आन्दोलन में भिळाया। करतां करतां अेकी आन्दोलन गजब जोर पकड़ लियौ। फलासिया, झाड़ोल, बदराना, केसरखेड़ी, माकतला, केलासपुरी आद रा भील तेजावत रै भालै माथै सैं कीं होमण सारु त्यार हुग्या। भोमट में ‘अेकी आन्दोलन’ रा पग सावळ जम ग्या जद तेजावत हजारां भीलां नै साथै लै’र उदैपुर धकी बईर हुया। मारग में पग पग माथै लोगां अछन खमां करिया अर साथै वाळौ काफलौ तर तर भारी हूवतौ ग्यौ। भीलां माथै हूवण वाळा जुल्मां नै ‘मेवाड़ पुकार’ नांव सूं लिख अर इक्कीस मांगा महाराणा सामी धरी। हजारां भीलां रा डेरा पिछोळा री पाळ माथै देख अर केई राज रा अफसर भुट ग्या अर फिदड़को नाखण रा बिरथा कळाप करिया। इण बेळा महाराणा 18 मांगां तो मांनली पण जंगळात, बेठ-बेगार अर सू’र मारण सूं जुड़ियोड़ी तीन बातां मानण सूं सफा नट ग्या। जगदीसजी रै मिंदर रै पाओड़ियां माथै ऊब अर तेजावत अेलान करियौ महाराणा 18 मांगां मानली अर बाकी तीन जनता खुद मानै है सौ सगळी री सगळी मांगा मानीजगी है। इण बेळा लाग-बाग अर बेगार रै मुद्दां माथै चेतियोड़ौ भील आन्दोलन करतां करतां सिरोही, पालनपुर, ईडर, दांता आद रियासतां में पूग ग्यो। अगस्त 1921 रै दिन झाड़ोल जमीदार मोतीलाल ने गिरफतार कर लियौ। इण माथै 65 गांवां रा कोई सात हजार भील पूग भर मोतीलाल ने रिहा करायौ।

मोतीलाल रौ मान भीलां बिचै घणौ इज बध ग्यौ। ढोल रै ढमाकां सूं गांव गांव में मोतीलाल रा होकम पूगण लागा। 7 मार्च 1922 रा ईडर रियासत रै पाल में 2000 भीलां समैत मोतीलाल डेरा करियोड़ौ जद मेजर सटन री फौज अचाणचक उठै पूग अर धना धन गोळियां बरसावण लागी। 22 जण सागै जागा इज मर ग्या अर 29 घायल हुया। राजस्थान सेवा संघ री कूंत मुजब इण बेळा मरण वाळां री गिणती अेक हजार रै नेड़ी नेड़ी ही।

7 मार्च रा मिनखां रै कच्चरघाण सूं मोतीलाल अंगेई नीं घबरीज्यौ अर न्यारी न्यारी रियासतां रै गांव गांव में फिर फिर नै भील आन्दोलन चेतायां राखणा रा कळाप करबौ इज करियौ। इण बिचै महात्मा गांधी रा खास मरजीदान मणिलाल कोठारी अंगरेजी हकूमत कनै मोतीलाल तेजावत री पेरवी कर कोसीस करी सरकार उणनै बरी करदै। ब्रिटिस सरकार टस ऊं मस नीं हई। मोतीलाल तेजावत रौ मानणौ हौ उण कोई गुनाह नीं करियौ अर उण रा काम सामाजिक अर धार्मिक दीठ सूं भीलां नै चेतावण रै मत्तै सूं करीज्या है। इण बिचै मेवाड़ अर सिरोही सरकारां मोतीलाल नै पकड़ण वाळै सारुं नकद ईनाम रौ अेलान करियौ। ईडर राज इण बेळा मोतीलाल नै पकड़णा वाळै सारुं पांच सौ रिपीयां रौ अेलान कियौ। अंगरेज अफसर पकड़ण सारुं घणी फायां खाई अर बिरथा फांफा मारिया। इण बिचै भीलां माथै घणा जुल्म हुया। सरकार केई सेसू छोडिया। अेकर बावड़ लागा मोतीलाल सिरोही रै भूला अर वालेरिया गांवां में छिपियोड़ौ है। दोनूं गावां में कुल अड़ताळीस झूंपड़ा इज हा। अेक रात रा अचाणचक दोनूं गावां में आग लगवा दी। लाई लोगां रा गूदड़ अर डांगर दुरादुर बळ बळा अर भसम हुग्या। अेकर मेवाड़ी फौज छः मइनां सिरोही रै गांव गांव ढाणी ढाणी में मोतीलाल नै जोवती फिरी पण सेवट हार खार पाछौ उदैपुर जावणौ पड़ियौ।

सेवट 3 जून 1929 रै दिन ईडर रियासत रै खेड ब्रह्म गांव में मोतीलाल तेजावत गिरफतार करीज्यौ। गिरफतारी बाबत सुमनेसजी लिख्यौ अहमदाबाद रा मणिलाल कोठारी महात्मा गांधी नै भील आन्दोलन बाबत राई राई भर समाचार पुगाबौ करता। बापू रै आदेस मुजब इज मोतीलाल तेजावत मरजी सूं खेड ब्रह्म में जा’र गिरफदारी दीवी। ईडर रियासत आबू में अे.जी.जी. कनै खबर पूगती करी मौतीलाल तेजावत नै रियासत आपरी जेळ में नीं राखणी चावै इण सारुं अे.जी.जी. री मंसा व्है जठै ईडर रियासत उणनै मेलणा नै त्यार है। अठी मेवाड़ रियासत मांग करी मोतीलाल मेवाड़ रौ वासी है इण सारुं उणनै मेवाड़ नै सूंपियौ जावै। मेवाड़ी मांग सूं अे.जी.जी.री इल्लत छूटी। ईडर रियासत इण आफत सूं गैल छोडावणी चावती अर मेवाड़ उण माथै आपरौ हक जता अर उणनै हासल करण सारुं पग पटकती ही। जुलाई 1929 नै मोतीलाल तेजावत मेवाड़ नै सूंपीज्यौ। उण माथै झाड़ोल रै कोठार सूं मक्की लेजावण अर राज रै सिपाई ने कूटण रा तोमत घर नै मुकदमा चालिया। सेवट दस बरस री करड़ी सजा ठोकीजी। मणिलाल कोठारी मोतीलाल नै छोडावण सारुं खासी माथाफोड़ करी। 23 अप्रेल 1936 रै दिन जेळ सूं छोटौ जठां लग मोतीलाल कुल सात बरस रै लगै टगै सजा भुगती। रिहाई पछै उदैपुर स्हैर पनाह रै बारै निकळण माथै पाबंदी लागोड़ी री।

उदैपुर में रैवता थकां 1938 में प्रजा मंडल रै आन्दोलन में हिस्सौ लेवण सूं पकड़ीज्या। पाछा छूटां पछै पत्तौ पड़ियौ भारी काळ पड़ण सूं भोमट रा भील भूख बिखौ भुगतै है। राज सरकार सूं भोमट में जावण री छूट मांगी। राज सरकार रै नटियां पछै भोमट में जावण सारुं बईर हुग्या पर राज रा हेरु मारग में जाय पूगा अर पकड़ नै पाछा उदैपुर ला पुगाया। घर आगै पुळिस रौ पोरौ लाग ग्यौ। कहीजै 1939 में भीलां नै माडाणी फोज में भरती करण लागा जद मोतीलाल तेजावत फेरुं भीलां में आन्दोलन छेड़ण रौ मत्तौ करियौ। मेवाड़ हकूमत पूरौ जोर लगा लगा अर भरोसौ दिरायौ मरजी बिनां किणी भील नै जोरामरदी भवै फौज में भरती नीं करीजैला जद आन्दोलन री बात नीठा अळी गळी हुई। 1942 में ‘भारत छोडो आंदोलन’ री बेळा मोतीलाल तेजावत नै फेरुं जेळ हुई। कोई तीनैक बरस री जेळ पछै 1945 में रिहा हुयां उदैपुर सूं बारै निकळण माथै पाबंदी लागी जिको 1947 मैं देस आजाद हुयौ जठै तांई लागोड़ीज रैई।

देस रै आजाद हुयां पछै 5 दिसंबर 1963 रा भीलां बिचै आजादी रो अलख जगावण वाळै इण भीलां रै सगळां सूं सिरै नेता रौ सरगवास हुयौ।

इण गत उगणीसमीं सदी रा भील आन्दोलन तौ पार नीं पड़िया पण बीसमीं सदी री सरुवाद में इज पेला गोविंदगरु अर पछै मोतीलाल तेजादत भीलां नै चेतावण रा कळाप करिया। इणां री करणी रंग लाई। भील आन्दोलन अेड़ा छोळां चडिया भील आबादी वाळी रियासतां इज कांई। ब्रटिस हकूमत रै गिरे हुगी।

भील आन्दोलनां सूं हड़बड़ीजियोड़ी भीली रियासतां केई बेळा पंच पंचायती सारुं नामी लोगां री मदद लीवी। तेजावत रा भील चेला जद पक्की धारली वै हळ दीठ सवा रिपियै अर साढी बारै सेर धान टाळ भवै कीं नीं देवैला। ईडर नरेस आपरै खास मरजीदान हरभगवान बंगाली रै मारफत कहाड़ियौ जे भील हळ दीठ अढाई रिपिया अर पच्चीस सेर धान देवणौ कबूल करलै तो समझोतौ हू सकै। भील इण सुभाव रै ठोकर ठोक दी अर सवा रिपियै नै साढी बारै सेर धान सूं बत्तौ कीं देवण सारुं हरगिज नीं हांकरिया।

सिरोही में भीलां रा रोळा घणा इज बध ग्या अर रियासत घणा पग पटकिया तोई भील काबू नीं आया जद सेवट स्टेट रै दीवाण रमाकांत मालवीय आपरै कानी सूं अरज कर नै बिजोळिया में करसां रै आन्दोलन रा चावा नेता विजयसिंघ पथिक नै सुलै सफाई करावण सारुं बुलाया। पथिक आपरै साथी रामचंद्र वैद्य अर ब्रह्मचारी हरि रै साथ सिरोही पूग नै भीलां अर स्टेट बिचै राजीना मैं री कोसीस करी। मणिलाल कोठारी भील आन्दोलन सूं जुड़ियोड़ा रिया। उणां रै बाबत विजयसिंघ पथिक कह्यौ “मणिलालजी राजस्थान रा गरीब भीलां सारुं जौ घणमोलौ काम करियौ वौ भूलणजोग नीं है।” राजस्थान सेवा संघ रा लोग बेळा कुबेळा भीलां री घणी चाकरी करी। घकै आवतां भीलां बिचै काम करणा वाळां में माणिक्यलाल वर्मा, भोगीलाल पांड्या, बालेस्वर दयाल, बलवंतसिंघ मेहता, हरिदेव जोसी अर गोरीसंकर उपाध्याय रा नांव खास गिणावणजोग है। इणां भीली इलाकां में स्कूलां री थरपणा अर भीली समाज में सुधार रा केई कळाप करिया।

लोक गीत किणी समाज रा खास आरसी गिणीजै। भीली लोक गीतां में वांरे जन आन्दोलन री भणक साफ सुणीजै। इण लोक गीतां में अंगरेजां नै पूरबिया राजा अर भूरिया इत्याद कह्या है। भीलां में अंगरेजां रै विरोध रा केई लोक गीत चावा। इण लोक गीतां में लाग-बाग, बेठ-बेगार, कूंत अर जागीरी जुल्मां री घणी धूड़ उडायोड़ी लखावै। भील आन्दोलन अहिंसक अर महात्मा गांधी रै बतायोड़ै गेलै मुजब हा इण री साख लोक गीत भरै। आप महात्मा गांधी री जै जैकार रा गीत भील घणै ठरकै सूं अजै तांई गावै। असल में भील आन्दोलन नै अहिंसक राखण री जस गोविंदगरु अर मोतीलाल तेजावत रै खवैं इज है।

स्रोत
  • पोथी : टाळवां निबंध ,
  • सिरजक : जहूरखां मेहर ,
  • संपादक : जहूरखां मेहर ,
  • प्रकाशक : हिन्दी साहित्य मन्दिर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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