भलोस आज मुंभ भाग, आप ग्रेह आविया।

दरस्स तो रघू दिलीप, पुन्यहूंत पाविया।

कहौ मुनिंद काज केण, आगिया सु कीजिये।

करी तुरी देस कोस, लछी भोमि लीजिये।

वदै मुनेस जेण वार, देखि भूप वीनती।

मखं सहाय काज मेलि, पुत्र तो रघूपती॥

रटै नपेस हो रिखेस, आप एह उच्चरी।

पयंस रांम नीर पेखि, पेखि मीन ज्यां पुरी॥

रचे चिंतामणी सु हार, कंठि रंक कीजियै।

पलं पलं विलोकि पुत्र, जेण भांति जीजियै।

यतो भेद जांणियै ह, ज्याग सैण दूजणं।

संधाण-बांण जांण न, तांण सरासणं॥

कराळ देस राकसां, कुमार ऐन मोकळूं।

जिंग सहाय काज जै, चत्रुंग साजि मैं चलूं।

विस्वामित्रेस एण वात, कोपियौ भयंकरा।

गिरां तरां सरां गंभीर, धुज्जवे विसुंधरा॥

रोमंच अंग धोम रूप, व्रह्म तेज में वर्णे।

जटास छमंटा जडागि, आग नेत्र ऊफणै।

वसिस्ठ आय जेण वार, ग्यांन कीध धू-मती।

दईव सेस तूझ नंद, भै कोई भूपती॥

कराळ मुनिंद्र कोइ, भाखसी वुरौ भलौ।

अहिंद्र रांमचंद्र ऐ, मुनिंद साथ मोकळौ॥

स्रोत
  • पोथी : सूरजप्रकास ,
  • सिरजक : करणीदान कविया ,
  • संपादक : सीताराम लालस ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम