तुरंग वग्ग फौर तौर और वात रस्सए।

अड़े धड़े दुहूँ घड़े चड़े कड़े अरस्स ए॥

उचार मार मार वार वार सूर उच्चरे।

हुई किलक्क वीर हक्क पै उचक्क है मरे॥

मिले नित्रीठ बेग रीठ खाग रीठ मच्चए।

निरक्खि धीर खेत वींर प्रेत वीर नच्चए॥

वजंत घाव जूसणे निहाव उट्ठवेणियं।

सँग्राम पंड कैरवै कि खंड बांण सेणियं॥

प्रहार सेल पिंजरै उझले खेग पेलणी।

सिळाव वेग जांण मेघ दामणी सकेलणो॥

अजीत प्रीत काज बांण जीत जोत उच्चरै।

बिया उठी अरीठ ढाव जैत राव बज्जरै॥

जुड़ै पड़ै लड़ै मुड़ै थुड़ै अनेक जंग मैं।

अनेक ऊकटै मिटै कटै तुटै सु अंग मैं॥

खड़ाखड़ी चरम्म तें झड़ाझड़ी खड़ग्ग रा।

गळे बळाबळी दळे करे बळी गरज्ज रा॥

स्रोत
  • पोथी : राज रूपक ,
  • सिरजक : वीरभाण रतनू ,
  • संपादक : रामकर्ण असोपा ,
  • प्रकाशक : नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ,
  • संस्करण : प्रथम