किये मजीठ रंग नैन जुधवीर ऐंनकौं,

जनूं हनूं प्रकास भौ उगय द्रोंन लैंन कौं।

किधू करयौ किरीट कोप जैद्रथै विनास नैं,

किधू क्रतंत कोप भौ समस्त विस्व ग्रास नैं॥

कियौक भीम कोप नागपाल उडावनैं,

किधों रमापत कोप फील ग्राहतैं छुडावनैं।

किधूं सुरेस कीन कोप अद्रपच्छ काटनै,

किधू नृसिंघ कोप भौ प्रसिध्द खंद फाटनैं॥

किधू कर्यौ हिरण्य पै वराह देव क्रोध सौ।

किधूं हया रच वेद चोर पै भयौ विरोध सौ॥

कियौ विप्रराम कोप ज्यू सहंश्रवा हुयै।

किधूंक चक्रधार कोप चक्रधार रा हुयै॥

कियौक कोप कुंभनंद सिंधु नीर सोखनै।

किधूं करयौ खगेस कोप मात बंध मोखनै॥

किधूं कर्यौ त्रनेत्र कोप दख्यराज जग्य पै।

कियौक सीतनाथ कोप लंकनाथ अग्य पै॥

कियौ गंगेव कोप सस्त्र कृष्ण कूं धनावनै।

कुप्यौ कंस खकार नंद सग्र के जरावनै॥

किधू सकंध कोप भौ कराल देख तारकैं।

कियौ उपेंद्र कोप यों विसाल देह धारकै॥

कियौक कोप कालका महासुरारवृंद पै।

कियौक कोप गोपनंद कंस के गयंद पै॥

किधू सुमित्रानंद कोप कीन इंद्रजीत पै।

कुप्यो द्रोननंद पंड वाहनी अभीत पै॥

स्रोत
  • पोथी : नाथ चंद्रिका ,
  • सिरजक : उत्तमचंद भंडारी ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर
जुड़्योड़ा विसै