हुवे धड़ ऊघड़ पिंड विहंड। खगां चढि धार हुवे बिबि खंड॥

तूटे फर फैफर कंध तड़क। पड़े उतबंग दड़क पड़क॥

बहे खग वीजळ जांणि वलग। उभै कर उछळ जाहि अलग॥

बिन्हे हुय पीडीय जांघ बड़क। लोथां भड़ि भोम दळंत दडक॥

तिके नर लोट तड़फड़ तिग। भिड़े अंग भाज हुवे भड़ ढिग॥

बेवे दळ जूट की धर वद। चले रूहिराळ जिहा पंचनद॥

खेले भड़ ओझड़ त्रिझड़ खग। उड़े सिर कोपर जाहि अलग॥

तूटे भड़ वाज बहे रत खाळ। रड़वड़ रूंड वहे विकराळ॥

कड़ कड़ हाडि वहे किरमाळ। छिटक पड़े भड़ वाज छंछाळ॥

उडे सर बांण छड़ाळ अछेह। मंडे घंण जाणि सवाबड़ मेह॥

सझे धुन उधम सीधव सद। नीसांण उडे सहि वाजित नद॥

हुई अमरेस दळां सिर हीक। झड़ा झड़ि वाज हुवा सहि झीक॥

पड़े घण बाण खतंग अपार। भड़ां अंग भाज पड़त भमार॥

कीया कमंधां जुध कारण खित। मरद गरद पड़े अंणमित॥

हड़ हड़ नारद वीर हसंत। जय जय जोगिणी ताम जपंत॥

घणां भड़ खेंग कराड़ि खैगाळ। सीहो रिण छंड़गयो जिव स्याळ॥

भूंडा करगो रिण सीहल भज। वीकाहर ताम नवबत बज॥

पड़ी अमरेसर सेन अपार। हुवा भड़ि ग्रीझण काज आहार॥

खुध्यावंत जोगिण पंखण आय। घंणो भख प्रामीय ताम अघाय॥

भली करनाजळ कीध भगत। गिरझण जोगिण गूद रगत॥

सपंखण जोगिण दिधि आसीस। राजा क्रंन कायम कोड़ वरीस॥

भिड़े अमरेस गया दळ भज। जीतो करनाजळ यों कमंधज॥

मंत्रेस कलावत राम अभंग। जीतो भिड़ भारथ जैहो जंग॥

स्रोत
  • पोथी : छत्रपता रासौ ,
  • सिरजक : काशी छंगाणी ,
  • संपादक : नारायणसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर
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