उर उर सों नर सोहै उछाह।
नर नर नेम लियो खग वाह॥
मर मर माचि रही दल दोय।
सर सर सेल पडै झड होय॥
कर कर कायर रोम सुकंपि।
खर खर मोर लई सिर चंपि॥
गर गर बजी अरव विरट।
घर घर घोरत तास त्रमट॥
नर नर नैक न त्यागत टेक।
चर चर चंपत एक कूं एक॥
छर छर होय छड़ा लस पार।
जर जर जोय बहै खग धार॥
झर झर श्रोन बहैत सुरंग।
नर नर रूप चढ्यो नर अंग॥
टर टर येक न येक टरंत।
ठर ठर ठीक सु पाव धरंत॥
डर डर त्यागि दियो दल दोय।
ढर ढर जो गज चामर होय॥
रण रण रचि रहो रण जंग।
तर तर तेग बहत अभंग॥
थक थक थाकियो रवि रथ।
दर दर टूट सूर सु मथ॥
धर धर तोवन के धम चक।
नर नर बाजि गजस गरक॥
पर पर पेलिये दल वह्क।
फर फर ते पचरंग फरक॥
बर बर खेत पड़े हरसाहि।
भर भर भट जोंहार भजाय॥
मर मर मांन पड़े चहुवान।
यर यर अजमेरी सुराण॥
रर रर रण दलो पड़ि अवाज।
लर लर लछमण कवार॥
वर वर लागि पड़े गुरुसाहि।
सर सर सूर किलकित धाय॥
खर खर खेत खीस्यो जोंहार।
सर सर नोवत नृपति दुवार॥