धिनो धर-धाट धिनो घर-धाट।

पदम्मण पाणी लावण जात।

रुळंती आवत आधी रात।

विलक्खत टाबर जोवै वाट।

धिनो धर-धाट, धिनो धर धाट॥

अरोगै नीर गधाँ सिर आंण।

सरापस देस धरा सोढांण।

कवीसर पारख ठाठ कोय।

हसत्ती भैंस बरोबर होय।

धिनो धर घाट धिनो धर धाट॥

चसौड़ै बासी मूंडै छास।

परख्या ऊन बरोबर पाट।

धिनो घर धाट धिनो घर घाट॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी निबंध-माळा ,
  • सिरजक : वीरदास बीठू ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : द्वितीय संस्करण