रचै अवतार वैकुंठां राव,किसी तैं ऊँच नखित्र कहाव।
जंनंमें राम कौसल्या जांम, भरथ जंनमें केकई भाम॥
सत्रघंन लखमंण भ्रात सदोय, सुमित्रा मात जनमें सोय।
अनंत प्रथमी भार उतार, इहै चत्र विधितणौ अवतार॥
वधाई वाजा राज दुवार, चत्रविधि मंगळ मंगळाचार।
वेदो धुनि विप्र भणै चत्रविधि, सुर नर नाचै नाग प्रसिधि॥
वणे ग्रह वंदरवाळि सुब्रंद, हरि द्रोब केसरि थाळ हळिद्र।
वधाइय राघव सीसि उवारि, दियै दसरथ्थ अनेक दुवारि॥
मंडे त्रिणि लोक जियै क्रम मधि, लिलाट यहै वड सोभाय लधि।
रति पति चाप सी भौंहा रेखि, परठइ बांण सु नासा पेखि॥
विसाल सुनेत्र सुंडाळ वदंन, श्रमंणक जाणि अनंग सदंन।
रदंन, छदंन, वदंन सरूप, उदै मुख हासि वलाकि अनूप॥
महावर कंध पंचायण मंड, वाकुस्थळि जड़ हीरावलि वंड।
भुजा जंम कोटि जिसा भाराथ, हरै पर दुख तिसा वर हाथ॥
जिसी कटि सिंघ नितंब सजंघ, उभै पद अंबुज चोळ उतंग।
रेखा, जव, अंकुस, वज्र, राजीव, दिपंति धुजा पद रांम दईव॥
इसा पग रांम सकांम अछेह, तैतीस अठसठि सेवई तेह।
महेष ब्रह्मा सेस मुनिंद, औळगई चंद अनै रवि यंद॥
मुनेस तपोधंन सिध महंत, सुपनई पाव न पांमई संत।
देवां नर नागज भाग दुलंभ, सुपग थियह दसरथ्थ सुलभ॥
दसा लघु खेलत दीरघ द्वारि, चत्र भुज भाग अनुज चियारि।
लघु लघु धांनंख सायक लघु, रम्मत नाना विधि नायक रघु॥
विराजत वाल दसा रघुविंद, छभा ग्रह गौखि आरांम सुछंद।
निरखत मुख अजोध्या नथ, रंजै कौसल्या अनै दसरथ॥
महा मतिवंत क्रिपानिधि मंन, महा गुणवंत सरूप मदंन।
सई सब जोवण वेस सुसंधि, कसे कुळ भार धुरंधर कंधि॥
सुरां सत वाच सुग्यांन संपेखि, विनै दन चात्रिम सील विसेखि।
वेदो धुनि रिषिया रांम विचारि, चियारै आश्रम धरम चियारि॥
दया द्रुम ध्रम रघुपति देखि, पदारथ च्यारि छाया फल पेखि।
मराल सुगति क्रपाल सुमत्ति, प्रसंन वदंन सदा रघुपत्ति॥