हैलमेट बिन हे पिया, जाणो नही बजार।
पैनल्टी भरणी पडे, रोकड़ एक हजार।
रोकड़ ऐक हजार, कंत समझाऊ कीकर।
हुवै जो ऐक्सीडेट, भोगनो जाये बीखर।
कहै मोहन कविराय, जीवन है बड़ो अमोलक।
बाइक होय सवार, हेलमेट पहरो बेसक॥
साजन आया है सखी, (मैं) हुई देख हैरान।
सौ सौ के सौ नोट को, चिपग्यो फैर चालान।
चिपग्यो फैर चालान खामंद भरदीनो खाडो।
डिगमिग गाड़ी देख, पुलिस मैन फिरियो आडो।
कहे 'मोहन' कविराय, छाक री आदत छोडो।
पीवो दूध भरपूर, प्रेमसूं घर पर पोढो॥
राह चलन्तो रोड पे, रखणी कदेन रेस।
शांतचित मन सोम्यता, आणों नी आवेस।
आणों नी आवेस, ध्यान वाहन पे धारो।
रुकजाणो खरड़ खप्प, ट्राफिक से देख इशारो।
कहे 'मोहन' कविराय, कायदा पालन कीजो।
नीतर वाहन जब्त, रावलै घर पर रीजौ॥
गाड़ी अर लाडी दुहु, सोहे घर री शान।
(पण) मेन्टीनेंस भारी पड़े, रखणी नही आसान।
रखणी नही आसान, भाडे सू पड़ती भारी।
लैवे वेतन लूट, पैंशन सारी की सारी।
कहे 'मोहन' कविराय, आवे नही दुःख में आडी।
एक भाग्योड़ी नार, एक भाग्योड़ी गाडी॥
नुंवो नुंवो लागू हुओ, मोटर वाहन ऐक्ट।
हरजाणो भारी हुवै, आ है बिलकुल फैक्ट।
आ है बिलकुल फैक्ट, (पण) जिंदगी रहे सलामत।
अड़चन ऐक्सीडेट, सभी टल जावे आफत।
कहे 'मोहन' कविराय, पेपर सब राखो पासे।
नही तो गाड़ी सीज, देखता रहो तमासे॥