थावर थिर करतार है, और सकल मिटि जाय।
जातें सूमति प्रीति करी, रहते चित्त लगाय।
रहते चित्त लगाय, तासु ने जग उपजाया।
वा की सरनै आय, करै बहु विधि की छाया।
ऐसा हरि का नाम है, जनम मरन मिटि जाय।
चरणदास कहै सहजिया, साचै सूं लौ लाय॥