उद्धार्यौ प्रल्हाद हरि, अवनी भार उतारि,

श्री नृसिंघ सुर संघ सब, प्रभु वयकुंठ पधारि।

प्रभु वयकुंठ पधारि, देव दुंदुभि दिवि वाजत,

गान करत गंधर्व, तान रंभादिक साजत।

वामांगसंग कमला, विमल आरत वंधु मुरारि,

विरुद भयौ जुग जुग, विदित हरि प्रहलाद उधारि॥

स्रोत
  • पोथी : नरहरिदास बारहठ ,
  • सिरजक : नरहरिदास बारहठ ,
  • संपादक : सद्दीक मोहम्मद ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर। ,
  • संस्करण : प्रथम