सेवग नफ़ा न जहाँ गयां, कुटंब कबीला जात।
रे कारा सूं रिलमिलै, साध न कहै बतलात।
साध न कहै बतलात, खान पैहरान सराई।
देह क्रित देखै जगत, भरम में रह्या भुलाई।
उलट मिल्या है राम सूं, सो तौ परख न आत।
सेवग नफ़ा न जहाँ गयां, कुटंब कबीला जात॥