ममा ररा दो अंक कूं राखौ हिरदै मांहि।

धर्म राय जांचै नहीं लेखा मांगै नाहिं॥

लेखा मांगै नाहिं जाय नहिं जमपुर बंध।

ऐसे निर्मल नाम को बिसरै सो अंधा।

ठीका चारों बेद का महिमा कहि जाय।

औसर बीत्यौ जात है सहजो सुमिर अघाय॥

स्रोत
  • पोथी : सहजोबाई की बाणी - सहज प्रकाश (सौलह तिथि निर्णय अंग से) ,
  • सिरजक : सहजो बाई ,
  • प्रकाशक : बेलडियर प्रेस, प्रयाग ,
  • संस्करण : सातवां संस्करण