ममा ररा दो अंक कूं राखौ हिरदै मांहि।
धर्म राय जांचै नहीं लेखा मांगै नाहिं॥
लेखा मांगै नाहिं जाय नहिं जमपुर बंध।
ऐसे निर्मल नाम को बिसरै सो अंधा।
ठीका चारों बेद का महिमा कहि न जाय।
औसर बीत्यौ जात है सहजो सुमिर अघाय॥