माया में मां नीसरै, ग्रिह सूं होय उदास।

राम भजन में रत रहै, सतसंगति में बास।

सतसंगति में बास, भोग दुख दायक जाणै।

मानसा बाचा होय, गुरां सूं बाणक बाणै।

कह चेतन या विधि भयां, लहै ब्रह्म में बास।

माया में मां नीसरै, ग्रिह सूं होय उदास॥

स्रोत
  • पोथी : स्वामी चेतनदास व्यक्ति, वाणी, विचार एवं शिष्य परंपरा (जिग्यासी को अंग) ,
  • सिरजक : चेतनदास ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्रकुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : संत उत्तमराम कोमलराम 'चेतनावत' रामद्वारा इंद्रगढ़, (कोटा) राजस्थान ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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