फोजां मैं मौजां फिरै, गाहण गढ़ा गइंद।
फुंकै काळ फणिंद री, उडि गया नर इन्द॥
उडि गया नर इन्द, चंद दिणंद चकीसर।
साथ न को धर्मसींह, कित वाळ्हा गया वीसर॥
सगळा तांळगि सूर, जम्म आवैं नहीं औ जां।
है चोटी पर हाथ, मान मत खोटी मौजां॥