1.

भायां में बतळावणो,रखणी लोकालाज।
भूंडा कर भिड़वाय दे,शरम बायरो राज।।
शरम बायरो राज,करादै खींचाताणी।
बाप गिणै नी पूत,पायदै पीढ्यां पाणी।
करै ''छैल'' कुचमाद,राज री लख चतरायां।
भेळो बैठ भचीड़,लगादे ओ तो भायां।।

2.

झूंठा बकणो पैलड़ो,कपट कहिजै दोय।
तीजो भिखमंगै जियां,वोट मांग लै रोय।
वोट मांग लै रोय,चौथ माया रा खुल्ला।
पंचम दारू मीट,अमल रा छठों कुल्ला।
सातम लठ बंदूक,मुकदमा आठम लूंठा।
नेता रा गुण अैह,सकल ओरूं है झूंठा।।

3.

चालै इतरा सूं नहीं,गुण चाहिजै और।
दलबदलू पक्को हुवह,तकड़ो रिसपतखोर।
तकड़ो रिसपतखोर,होवणो चमचो जबरो।
हुवै अंगूठा छाप,जिको ही नेता सखरो।
आणी चावै गाळ,थोबड़ो जद ई हालै।
नारा रटणा च्यार,काम पछ आच्छो चालै।।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : छैलू चारण ''छैल''
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