माया में मां नीसरै, ग्रिह सूं होय उदास।
राम भजन में रत रहै, सतसंगति में बास।
सतसंगति में बास, भोग दुख दायक जाणै।
मानसा बाचा होय, गुरां सूं बाणक बाणै।
कह चेतन या विधि भयां, लहै ब्रह्म में बास।
माया में मां नीसरै, ग्रिह सूं होय उदास॥