अहं ब्रह्म अस्मी अडग यामें द्वेत न आन,
आद अंत मद्य एक रस गणवे सही गुमान,
गुमानो गणे यों एक सच दोय क्यों,
संख तक जायने संखवत होय क्यों,
सुणे वो गुणे वो लखे सो एक है,
अह ब्रह्म अस्सी कहै सो नेक है॥