सुखा चणनै सामटा, काचा सूंपै गोळ।

वो दन वीसरणो नहीं, लाल रंग री लोळ॥

रेल दोड़ती ज्यूं घणा, रूंख दोड़ता पेख।

तन नै जातो जाण यूं, दन नै जातो देख॥

पड़ी दड़ी पहचाण लै, घड़ी व्है घाट।

काढैगा कतराक दन, वना तेल री वाट॥

जणी जणी नै जोय मत, ध्यान धणी रो खोय।

वणी अणी री वगत में, कूण कणी रो होय॥

कई काठ नै क़िस्त दै, किस्त काळ री टाळ।

झूठी बाजी जीत’ नै, मनख जनम मत हार॥

गोखड़िया अड़िया रया, कड़िया आंकणहार।

खड़खड़िया पड़िया रया, खड़िया हाकणहार॥

गेला नै जोतो कहै, जावै आप अजाण।

गेला नै रेवै नहीं, गेला री पैछाण॥

कर क्षण भंग शरीर रो, मलणो धूल कबूल।

पापी रा पग पै कई, फूल रियौ रे भूल॥

धन दारा रै मांयनै, मती जमारो खोय।

वणी अणी रा वगत में, कूण कणी रा होय॥

स्रोत
  • पोथी : चतुर चिंतामणि ,
  • सिरजक : चतुर सिंह ,
  • संपादक : मोतीलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय