गूजरी रौ मोसौ सुणया सूं, समझी तेजल बातड़ली।
किण गांवां मै ब्यांव हुयौ है, साच' बताऔ मावड़ली॥
रतने बेटी बींदण थांरी, कहती दीसै भावजड़ी।
बारै बरस सासरै बैठी, पहलां लावौ बैनड़ली॥
जामण जायी राधा लेवण, रुणझुण जोड़ी गाडड़ली।
रात दिनां नै भूल्यौ तेजल, पूग्यौ बैनड़ गांवड़ली॥
घरां आंगणै धीवड़ ऊभी, मावड़ मूंडै हांसड़ली।
भाई तणा बैन घर आयी, गांव घरों में हरखड़ली॥
बिन सुगना तेजोजी टुरग्या,काठी कसियां घोड़ड़ली।
गेलै बीचां आग लागगी, तेजल देखी आंखड़ली॥