गूंद गिरी रा लाडू बांध्या, घाल बिदाम साकरड़ली।

खाणौ-पीणी रचलै पचलै, मूंडौ चमकै धाकड़ली॥

तेल- पीठी दीसै मसळती, माथौ धौवै गोरड़ली।

चिकणी चुपड़ी दिखै कांमणी, मखमल जैड़ी चामड़ली॥

न्हावै धोवै केस संवारै, पीळौ ओढै बहवड़ली।

नंणदोली रै हाथां थाळी, बींदण बांटै लाफसड़ी॥

जापै सूं जद उठे सवागण, आंगण बाजै ढोलकड़ी।

घरां लुगायां भेळी होजा, मधरी गावै गीतड़ली॥

करवौ पूजण बहवड़ ओढ्यां तारां लूगड़ली।

बेटौ जंणियौ है गोरड़ली, करै लुगायां बातड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम