राम पीर रै ब्यांव माथै, सुगना जोवै बाटड़ली।

सासरियै मै बैठी रोवै, डुसका खाती बैनड़ली॥

जेळ मांयनै रतनौ बैठ्यौ,खूंटै बंधगी सांढड़ली।

सुगना घर मै बात सुणी तौ,कळपी आखी रातड़ली॥

लीलै रौ असवार देखलै, सुगना बीती बातड़ली।

घोड़ै चढिया भालौ लीयां,बड़ग्या पूगळ कांकड़ली॥

पूगळवासी थर-थर धूजै, फाटी दीसै आंखड़ली।

भगवन बांनै माफ करै है, सुगना बैठी गाडड़ली॥

ब्यांव रचाय'र भगवन आया, घरां बधावै मावड़ली।

सुगना घर में बैठी रोवै, पकड़ काळजौ हाथड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम
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