मिसरख देस खंधार, खड़े गजनी दल आये।
घुर काविल खुरसाण, कोकि पतसाहि वुलाये।
आख अर अबदाल दल, दिली आय येते जुड़े।
करि सलाम पटसाहि कौं, हाथ जोड़ि हाजरि खड़े॥

रूंम स्यांम कसमेरि, ईरां तूरां दल आये।
हवस वंग दल खड़े, जब साहि रणथंभ चलाये।
गढ कोट देस परलै करूं मुजि अलावदी नांव।
हजरति कहै हमीर की, अबै मुजि देखणी बांह॥

सोरठ गढ गिरनारि, दखिण पूरव धर जेती।
लगे साहि के पाय, आय मिलि हजरति सेती।
अलादीन पतसाहि सूं, को करि सकै गुमान।
हजति कै हाजरि चलै, इते देस हिंदवान॥

साहि सनीचर वार, कोपि रनथंभ दिस चलिया।
दसौं देस पाय लागि, साहि कौ सनमुख मिलिया।
ग्यारा सै'र अठ्यासीया, चैत मांस चंद रोज।
चढीयौ साहि अलावदी, करि हमीर पैं रोस॥

खड़ीये मीर अमीर सव, रनथंभ दिसि ध्याये।
धर अंवर रज छाय, चलत कोऊ पंथ न पावै।
बांधी तेग हमीर पैं, जत साहि जगदीस।
सपत लाष हींदु चढे मुसलमान लख वीस॥

डाक येक दस सहंस, खवरि चहूं दिस की ल्यावै।
वेलदार लख येक, पहुमि निति नीर पीवावै।
मीर मीर की मिसलि परि, इक लख फिरत ज सौल।
हिमत वहादर अली खांन, येह द्वै सूर हरौल॥

यक लख हाटि वाजार, दुनी वनीयां व्योपारी।
भठीयारी लख च्यारि, नांन्ह पकांवन (पक्कावन) हारी।
खर गोरख खचर दो यलखलदै, गसतागर लख च्यारि।
येती हसम हरौल संगि, हरवल हसम अगारि॥

दवागीर लख येक, साहि कौं दवा सुनावैं।
लंगरि खैर निति वटै, रिजक हजरति कै पावें।
वान रहकले दस सहंस,तोव न कीतावीन।
इती हसम पतसाहि लै, कोपि पयानौ कीन॥

लख पैंतालीस सहंस दस, येतो दल परवान।
वाट घाट सुधि नां परे, छात गरद असमांन॥

चढ्यौ दीलीसुर कोपि, राव पर करी रिसाई।
दस जोजन परमान, पड़त दल धर न समाही।
चलत साहि जव कुंच करि, सूर गिरद छिपि जाय।
धनि धनि कहै हमीर सूं, अलादीन पतसाहि॥

सात वीस लख हसम, तीन लख सुतर चलाये।
पाच सहंस गजराज, येक सूं येक सवाये।
इती हसम पतिसाहि लै, चढ्यौ कोप घड सूं अर्यौ।
चहुवांन रांन हर हर हसै, मांनु येक टांडो पर्यौ॥

दसूं देस के मिलेछ ते, खड़ि आयो पतिसाहि।
कहै हमीर दीसै मुजै, सोदागर से साहि॥

स्रोत
  • पोथी : हम्मीर रासो ,
  • सिरजक : महेश ,
  • संपादक : माताप्रसाद गुप्त ,
  • प्रकाशक : केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली।