सेठां बेटां अकल घणी है, धीरज राखै हीवड़ली।
दूर देस सूं आय फिरंगी, सौख्यौ सेठां बातड़ली॥
मरूदेस सूं टुरया सेठजी, पूगै दूजी गांवड़ली।
बिन दिसावर फळै नीं फूलै, सेठां जाणी बातड़ली॥
काम-काज खोजण नै चाल्या, साथै खाली लोटड़ली।
पूठा मुड़तां हाथ दरब है, हीरा मोती जेबड़ली॥
सोनौ चांदी दिखै मोकळौ, हे'ली बणगी धाकड़ली।
जाळी झरोखा पग-पग दिखै, मकराणै री भाटड़ली॥
गरीब गुरबौ आस लगायां, जोवै सेठां बाटड़ली।
दिसावर सूं आया सेठजी, बांटे गमछा धोतड़ली॥