रूप की रौवै, करम की खावै।

केसरी मै कांई छै, कोई तो बतावै॥

स्रोत
  • पोथी : पोलमपोल भायाजी ,
  • सिरजक : कर्पूरचंद कुलिश ,
  • प्रकाशक : राजस्थान पत्रिका प्रकाशन