बात सगाई लांबी होजा, पंचां पड़जा वातड़ली।

बेटी घर मै मावै कोनी, ब्यांव रचादै मावड़ली॥

धीवड़ सोळा साल होवतां, बाबल उड़जा नींदड़ली।

मावड़ देवि-देवता ध्यावै, दिखे जोड़ती हाथड़ली॥

मधरा-मधरा गीत सुणीजै ब्यांव टांकले गांवड़ली।

मांड राग धोरलियां गूंज्या, थमै बटावू डांडडली॥

खुसी पड़े तो करी भाइड़ा, ब्यांव सगाई चाकरड़ी।

बिन राजीपै अेक हुवै नीं, घर-घर बातां गांवड़ली॥

कांकण- डोरा हाथ पगां मै, नीचे लटकै कोडड़ली।

मुरचै माथै मोळी बांधी, लाल मेहंदी हाथड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम