चोपई
इम आलोची राघव व्यास, चित्रकोटनुं छांडिउ वास।
मांणस मुहरइ लेई करी, गढथी छांनु गु नीसरी॥
जातु जातु डिल्ली गयु, तिहां जाई नइ परगट थयु।
गांम माहि हूउ परसिद्ध, ज्योतिष निमित घणु जस लीध॥
भणइ भणावइ शास्त्र अनेक, वात वखाण करइ सविवेक।
नवरस सयण सभा रीझवइ, सित सित अरथ करी सीखवइ॥
पूरु घटि विद्या परवेस, तेहनई केहा देस विदेस।
विद्या माता विद्या पिता, विद्या सयण सगा सासता॥
विद्या वित्त तणु भंडार, विद्या घाट सोलइ सिणगार।
मान मुहत जस विद्या थकी, वितथी विद्या अधिकी जकी॥