सूफी बाबौ करै इबादत, नागाणै री धरतड़ली।

च्यारूंमेरा हसी-खुसी है, कुफ़र चुरावै आंखड़ली॥

भूत -पलीतां आग लागजा, बाबा थारी कांकड़ली।

डरता - डरता पूठा भाजै, छोड़ मिनख री हाथड़ली॥

मोठ-बाजरौ बण्यौं खीचड़ौ, साथै मोळी छाछड़ली।

बाबौ कहवै फौज जिमाऔ, गाभौ ढकदौ हांडड़ली॥

पोटली मै कीड़ी आयगी, बाबै देखी आंखड़ली।

पूठा छोडण टुरया बापजी, जीव घरां नै गांवड़ली॥

बावै जीवां रहम मोकळौ, नीं मारण दै गावड़ली।

पांणी लीयां खून धौयदै, बांधै सींगां पाटड़ली॥

स्रोत
  • पोथी : मूंडै बोले रेतड़ली ,
  • सिरजक : सरदारअली परिहार ,
  • प्रकाशक : परिहार प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम