पंखिया परदेसी अजकाय,

आगमै असमांनी असमांन।

उडै कोइ आथूंणी गुलाल,

आई सांझ धरा मिजमांन।

अर्थ :

परदेशी पक्षी नीलाकाश में (अपने नीड़ की ओर) व्यग्रता से आने लगे हैं। धरती पर संध्या मेहमान बन कर आई है (जिसके स्वागत में) पश्चिम दिशा की लालिमा (के रूप में) मानो गुलाल उड़ा रही है।

स्रोत
  • पोथी : सांझ ,
  • सिरजक : नारायणसिंह भाटी ,
  • संपादक : गणपति चन्द्र भंडारी ,
  • प्रकाशक : राजस्थान पाठ्य प्रकाशन जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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