पाणी में पाणी घणौ, पाणी डूबत जाए।
पाणी पग मारता, तिर-तिर बारै आए॥
पाणी समदर मायनै, पाणी पलका बीच।
पाणी नमळी जेवड़ी, धीरां-धीरां खींच॥
पाणी बोल्यो हाँसतो, मत तू गरब रखाण।
तातो चालै बायरो, टपको भरै उडाण॥
पाणी-पाणी सब रटै, पाणी निजर न आए।
ढाणै उभी पणिहारी, टप-टप नैण झराए॥
पाणी-पाणी डी'लड़ो, पाणी नैणां जोत।
पाणी सबकी ज्यात छै ,पाणी सबको गोत॥
म्हारौ कांई-कांई छै, पाणी का सब खेल।
जतनो पटका टैमसर, उतनी चालै रेल॥
पाणी निपजै नाज सब, पाणी दमकै देह।
नद्दी कराड़ापूर छै, घट-घट बरस्यो नेह॥
पाणी-पाणी हेरता ,घट सूं छूटै जीव।
पाणी बिन छै पोसरी, देहघरां की नीव॥
पाणी कै मिस आवतौ, सावण-भाद्र-असाढ़।
टाबर ज्यूं पाणी पळे, करज्यो घर-घर लाड॥
पाणी खारी कुंइ को, पाणी कुवां तळाव।
पाणी समदर नीपजै, बादळ को'सो पड़ाव॥